जम्मू कश्मीर में हाल के दिनों में हथगोले से बढ़े हैं हमले
स्टिकी बमों का भी प्रयोग कर रहे हैं आतंकी
जम्मू। पहली बार किसी हाइब्रिड आतंकी से बरामद परफ्यूम बम ने जम्मू कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में जुटे सुरक्षाबलों के पांव तले से जमीन जरूर खिसकाई है। अभी तक वे पिछले कुछ महीनों से स्टिकी बमों का मुकाबला करने के लिए जुगाड़ ही तलाश नहीं कर पाए थे।
आतंकवाद की शुरुआत के साथ ही जम्मू कश्मीर में बड़े हथियारों और गोला-बारूद का आना इसलिए संभव हुआ था क्योंकि एलओसी पर न ही तारबंदी थी और न ही इतनी संख्या में सैनिक कभी तैनात हुए थे। पर अब हालात बदले तो पाकिस्तानी खुफिया संस्था आईएसआई व पाक सेना ने भी अपनी रणनीतियों को बदल लिया।
नतीजतन आतंकियों की खास पसंद और धमाके करने में आसान वाले हथियारों को वह वाया ड्रोन इस ओर भिजवा रही है। इनमें अभी तक हथगोले, टिफिन बम, प्रेशर कुकर बम, स्टिकी बम और छोटी-छोटी आईईडी थी। पर अब इनमें परफ्यूम की बोतल टाइप के बोतल बम भी शमिल हो गए हैं। अधिकारियों को आशंका है कि पाक सेना ने और भी कुछ आइटमों को छोटे बमों में बदला है जिनकी पहचान कर पाना आसान नहीं है।
अधिकारियों ने इसे माना है कि पिछले कुछ महीनों से अगर कश्मीर में हथगोलों के हमले बढ़े हैं तो जम्मू संभाग में स्टिकी बम आतंक फैलाए हुए हैं। पकड़े गए अध्यापक आतंकी ने भी इसे माना है कि कटड़ा में यात्री बस में विस्फोट में उसने स्टिकी बम लगाया था जिसे कई दिनों तक पुलिस इंजन में हुआ धमाका बताती रही थी। इस घटना में चार श्रद्धालु मारे गए थे।
अब सुरक्षाबलों के लिए परेशानी यह है कि वह ड्रोन की उड़ानों पर रोक लगाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। खबरों के मुताबिक, एलओसी के इलाकों में पाक सेना ऐसे चीन निर्मित ड्रोनों का इस्तेमाल करने लगी है, जो न ही आवाज करते हैं और न ही कोई रोशनी उनमें होती है। यह भी बताया जा रहा है इनमें से कई राडार की पकड़ में भी नहीं आ रहे हैं। एक ऐसा ड्रोन बरामद भी हो चुका है। पर इसकी आधिकारिक पुष्टि होना अभी बाकी है।