कृषि विधेयकों के विरोध में किसानों ने किया राष्ट्रव्यापी आंदोलन
शनिवार, 26 सितम्बर 2020 (01:43 IST)
नई दिल्ली। कृषि सुधार से संबंधित विधेयकों को संसद में पारित किए जाने के खिलाफ विभिन्न किसान संगठनों ने शुक्रवार को देशव्यापी सड़क जाम और बंद आयोजित किया। इस दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों के प्रमुख राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्ग इस आंदोलन के कारण अवरुद्ध रहे। कई राज्यों में पुलिस ने सड़क जाम हटवाने के लिए प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग किया लेकिन किसान अपनी-अपनी जगहों पर डटे रहे।
अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव अतुल कुमार ‘अनजान’ ने यहां एक बयान में किसानों के आंदोलन को सफल बताया और कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में यह कहकर सत्ता हासिल की थी कि वह स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट को लागू करेगी। किसानों का संपूर्ण कर्जा माफ किया जाएगा। बिजली बिल माफ होंगे, कृषि लागत दर एक चौथाई कर दी जाएगी लेकिन हो क्या हो रहा है, यह सबके सामने है।
उन्होंने कहा कि केंद्र की सत्ता में आते ही नरेन्द्र मोदी सरकार जमीन हड़पने के लिए संसद में पारित किसान समर्थक भूमि अधिग्रहण कानून को समाप्त करने के लिए सबसे पहले एक अध्यादेश ले आई। मोदी सरकार अब खेती हड़पने के लिए तीन काले कानून लेकर आई है। केन्द्र सरकार खेत, खलिहान और खदानों को पूंजीपतियों के हाथ गिरवी रखने का घिनौना षड्यंत्र रच रही है। इससे करोड़ों किसानों, मजदूरों, आढ़तियों की रोजी-रोटी छिन जाएगी। धन्ना सेठों को लूटने की आजादी देने का दस्तावेज संसद से पारित कराया गया है।
अंजान ने कहा कि अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर जनता ने व्यापक समर्थन देकर किसान आंदोलन को सफल बना दिया है। किसानों के इस राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन को देखकर मोदी सरकार को समझ लेना चाहिए कि अब किसान झांसे में आने वाले नहीं हैं।
देश के कृषि प्रधान राज्यों पंजाब और हरियाणा में बड़ी संख्या में किसान और आढ़तिए सड़कों पर उतर आए और अनेक राष्ट्रीय राजमार्गों और रेल रूट को जाम कर दिया। किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर संसद में पारित कृषि विधेयक वापस लेने की मांग की। किसानों के आंदोलन के मद्देनज़र इन राज्यों में विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की आज होने वाली परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गई हैं।
किसानों के इस आंदोलन को दोनों राज्यों में कांग्रेस समेत अनेक विपक्षी दलों का समर्थन मिला है। पंजाब में आम आदमी पार्टी(आप) और शिरोमणि अकाली दल(शिअद) तथा हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो), आढ़ती संगठनों तथा हरियाणा सर्व कर्मचारी संगठन का भी समर्थन मिल रहा है। कई पंजाबी गायक भी किसान आंदोलन के समर्थन में आ गए हैं। पंजाब में चौदह पूर्व आईएएस अधिकारी किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।
बंद के दौरान दोनों राज्यों में आज मंडियां और बाजार बंद रहे, हालांकि अस्पताल, नर्सिंग होम, दवा की दुकानों, किराना दुकानों, बैंक आदि आवश्यक सेवाओं को बंद से मुक्त रखा गया है लेकिन बाजारों में अजीब सा सन्नाटा पसरा दिखाई दिया। पुलिसबल बाजारों, राष्ट्रीय और रागमार्गों पर गश्त करते नजर आए।
पंजाब में हालांकि किसानों ने गुरुवार से ही अपना आंदोलन शुरू कर दिया था और वे राज्य से गुजरने वाली अनेक रेल लाइनों पर अनिश्चितकालीन धरनों पर बैठ गए। रेलवे ने दोनों राज्यों से गुजरने वाली 20 से ज्यादा रेलगाड़ियों का आवागमन शनिवार तक रद्द कर दिया है। अमृतसर से चलने वाली 12 गाड़ियां रद्द कर दी गईं और अमृतसर पहुंचने वाली ट्रेनों को अंबाला में ही रोक दिया है। कुछ गाड़ियों के रूट में परिवर्तन किया गया है।
किसान संगठनों का कहना है कि अगर केंद्र सरकार ने ये विधेयक वापस नहीं लिए तो शनिवार से आंदोलन की रूपरेखा में बदलाव किया जाएगा। संगठनों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से इन विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं करने की भी अपील की है। किसानों ने कहा कि कृषि ही उनके जीवन का मुख्य आधार है तथा दावा किया कि पारित कृषि विधेयकों से वे बर्बाद हो जाएंगे। उनकी जमीनें छीन ली जाएंगी। खेती पर निजी कंपनियों का कब्जा हो जाएगा। मंडियां और न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और बाराबंकी, सीतापुर तथा रायबरेली के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आज विभिन्न दल के नेताओं के साथ सड़कों पर उतरे। कई जगह पराली जलाई गई। पुलिस के बेहद मुस्तैद रहने के बावजूद कई जगह सड़क जाम करने का प्रयास किया गया। भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी किसान इसके विरोध में सड़क पर उतरे हैं। लखनऊ से सटे बाराबंकी के साथ ही बागपत और मिर्जापुर में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।
इस दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग पर पराली जलाकर आगजनी का प्रयास भी किया गया है। बाराबंकी में सैकड़ों की संख्या में किसानों ने अयोध्या-लखनऊ राजमार्ग जाम कर दिया है। किसानों का आरोप है कि केंद्र के कृषि बिल से न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और कृषि क्षेत्र भी देश के बड़े पूंजीपतियों के हाथों में चला जाएगा। किसानों ने कहा कि तीनों विधेयक वापस लिए जाने तक वे अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।
उत्तराखंड में नैनीताल, अल्मोड़ा और ऊधमसिंह नगर में किसानों और कांग्रेस पार्टी ने कृषि विधेयकों के विरोध में प्रदर्शन करते हुए केन्द्र सरकार का पुतला फूंका। अनाज का कटोरा कहे जाने वाले ऊधमसिंह नगर जिले में किसानों ने शुक्रवार को कृषि विधेयकों के विरोध में सड़कों पर प्रदर्शन किया। किसानों ने रूद्रपुर, किच्छा, काशीपुर तथा बाजपुर के अलावा अन्य स्थानों में विधेयकों के विरोध में ट्रैक्टरों के साथ प्रदर्शन किया।
राजस्थान की राजधानी जयपुर में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भाकपा (माले), समाजवादी पार्टी एवं अन्य संगठनों ने आज प्रदर्शन किया। इन संगठनों ने शहीद स्मारक पर यह विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने कृषि विधेयकों को किसान विरोधी बताते हुए इन्हें वापस लेने की मांग की।
बिहार में मुख्य विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस एवं वामदल समेत सभी विपक्षी पार्टियों ने हल्ला बोला, लेकिन राज्य में बंद का कहीं कोई खास असर नहीं देखा गया। विधेयकों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे राजद कार्यकर्ताओं का नेतृत्व पार्टी एवं प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने किया।
वामदलों ने भी इन विधेयकों के विरोध में पटना में जगह-जगह मार्च निकाला। पटना के बुद्ध स्मृति पार्क से भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा-माले) के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य के नेतृत्व में किसान प्रतिवाद रैली निकाली गई। रैली में भाकपा-माले के हजारों कार्यकर्ता शामिल हुए।
राजधानी पटना के अलावा बिहार के लगभग सभी जिले में भी राजद समेत सभी विपक्षी दल ने इन विधेयकों के विरोध में प्रदर्शन किए। दरभंगा में सैकड़ों ट्रैक्टर पर सवार राजद कार्यकर्ताओं का कर्पूरी चौक से लहेरियासराय तक जुलूस निकला। वहीं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के कार्यकर्ताओं ने एकमी घाट के निकट दरभंगा-समस्तीपुर सड़क के किनारे, जाप कार्यकर्ताओं ने मब्बी के निकट राष्ट्रीय राजमार्ग-57 के पास, जबकि भाकपा-माले के सदस्यों ने छोटे-छोटे इलाके में विरोध प्रदर्शन किया।(वार्ता)