खबरों के मुताबिक, पुलिस ने गुरुवार को मामले की जानकारी देते हुए बताया कि हजेला पर 2 मामले दर्ज किए गए हैं। पहला मामला अखिल असम गोरिया मोरिया युवा छात्र परिषद (एएजीएमवाईसीपी) ने गुवाहाटी में दर्ज कराया, जबकि दूसरा डिब्रूगढ़ जिले में एक व्यक्ति चंदन मजूमदार ने कराया है। चंदन का आरोप है कि उसका नाम एनआरसी से जानबूझकर निकाला गया है।
इससे पहले एनआरसी के मामले में असम भाजपा भी लगातार अपनी असहमति दर्ज करवा चुकी है। असम के मंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा का कहना है कि 1971 से पहले बांग्लादेश से शरणार्थियों के रूप में आए कई भारतीय नागरिकों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं किए गए हैं, क्योंकि अधिकारियों ने शरणार्थी प्रमाण पत्र लेने से इनकार कर दिया था।
एनआरसी भारतीयों का हिसाब रखता है। कड़ी सुरक्षा के बीच लिस्ट जारी हो चुकी है। इस लिस्ट में 3,11,21,004 लोगों को शामिल किया गया है, जबकि 19,06,657 लोगों को लिस्ट में जगह नहीं मिली है। किसी के भारतीय नागरिक होने या न होने का निर्णय फ़ॉरेन ट्राइब्यूनल ही करेगी। इस निर्णय से असहमत होने पर उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय भी जा सकते हैं।