अदालत में मुकदमेबाजी के बाद रुखमाबाई ने महारानी विक्टोरिया को पत्र लिखा, जिन्होंने अदालत के आदेश को पलट दिया और शादी को भंग कर दिया। इस मामले पर हुई चर्चा ने ‘सहमति आयु अधिनियम, 1891’ पारित करने में मदद की जिसमें ब्रिटिश शासन में बाल विवाह पर रोक लगाई।