गलवान घाटी की खूनी जंग, आखिर क्या हुआ था उस खूनी रात को...
गुरुवार, 18 जून 2020 (14:22 IST)
अब यह बात किसी से छिपी नहीं है कि सोमवार की रात चीनी सैनिकों के साथ आमने-सामने की झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए। लेकिन, उस खूनी संघर्ष की हकीकत अभी लोगों के सामने नहीं आ पाई है। यही कारण है कि लोगों के मन में सवाल घुमड़ रहे हैं। इसको लेकर मीडिया में कुछ बातें सामने जरूर आ रही हैं, लेकिन ये आधिकारिक नहीं हैं।
भारत और चीन के शीर्ष सैन्य अधिकारियों की लगातार जारी बैठकों में यह तय हुआ था कि गलवान घाटी के पेट्रोल पॉइंट 14 से चीनी सेना ने पीछे हटेगी, वहीं भारतीय सेना ने भी थोड़ा पीछे हटने का फैसला किया था। यह भी तय हुआ था कि गश्ती पॉइंट 14 पर कोई भी खड़ा नहीं होगा। धीरे-धीरे इसकी शुरुआत भी हो चुकी थी। भारत ने अपने सैनिक बातचीत में हुए निर्णय के मुताबिक कुछ पीछे हटा लिए थे।
दरअसल, चीन द्वारा भरोसा दिए जाने के बाद ही शीर्ष अधिकारी स्तर की बैठक समाप्त हुई थी। इस दौरान इन्फ्रेंट्री बटालियन के कमांडर कर्नल संतोष बाबू भी मौजूद थे। सैटेलाइट फुटेज के आधार पर माना जा रहा है कि पॉइंट 14 के कुछ पीछे चीनी सेना इस संघर्ष की पूरी तैयारी कर रही थी। दूसरी ओर, भारतीय सैनिक इससे पूरी अंजान थे।
खूनी संघर्ष की रात जब कर्नल संतोष बाबू जब पेट्रोल पॉइंट 14 की ओर यह देखने के लिए गए कि चीन ने अपना टेंट हटाया है नहीं। उन्होंने वहां टेंट के साथ ही चीनी सैनिकों को भी देखा तो चीनी सैनिकों के समक्ष विरोध भी दर्ज कराया। लेकिन, इसी बीच चीन ने सीमा उल्लंघन का आरोप लगाकर कर्नल बाबू और उनके साथियों पर योजनाबद्ध तरीके से हमला बोल दिया।
आमतौर पर सीमा पर हाथापाई और पत्थरबाजी की खबरें आती रही हैं। ऐसा कई बार हुआ भी है, लेकिन इस बार चीनी सैनिक पूरी तैयारी के साथ थे। उन्होंने सरियों और बेसबॉल के बल्ले में कंटीले तार बांधकर भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया। शीर्ष स्तर पर बैठकों और 'हाथ मिलाने' की प्रक्रिया के बीच भारतीय सैनिक इस स्थिति के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं थे। कर्नल एवं उनके साथियों पर हुए इस अचानक हमले से दूसरे सैनिक भी वहां पहुंच गए। दोनों देशों के सैनिक आपस में भिड़ गए।
इस खूनी संघर्ष के बीच कुछ सैनिक गलवान नदी में भी गिर गए, जिनकी ठंड के कारण मौत हो गई। भारत की ओर से अभी 20 सैनिकों के शहीद होने की आधिकारिक रूप से पुष्टि की गई है, लेकिन चीन की ओर अभी कोई आधिकारिक रूप से जानकारी सामने नहीं आई है। लेकिन, 1962 के बाद चीन धोखेबाज चेहरा एक बार फिर सामने आ गया है।