पौड़ी जिले के द्वारीखाल प्रखंड के कांडाखाल कस्बे से कुछ ही दूरी पर स्थित दिवंगत जनरल रावत के इस छोटे से पैतृक सैणा गांव में केवल उनके चाचा का ही परिवार रहता है। सैणा गांव में कुल तीन मकान हैं, जिनमें से एक में उनका परिवार रहता है, जबकि दो अन्य खाली पड़े हैं।
आंखों से बहते आंसुओं को पोंछते हुए रावत ने कहा कि उन्हें क्या पता था कि उनके भतीजे की हसरतें अधूरी रह जाएंगी। उन्होंने बताया कि जनरल रावत आखिरी बार अपने गांव थलसेना अध्यक्ष बनने के बाद अप्रैल 2018 में आए थे जहां वे कुछ समय ठहरकर उसी दिन वापस चले गए थे। रावत ने बताया कि इस दौरान उन्होंने यहां कुलदेवता की पूजा की थी।
उन्होंने बताया कि बिपिन गरीबों के प्रति बड़े दयालु थे और बार-बार उनसे कहते थे कि सेवानिवृत्त होने के बाद वे अपने क्षेत्र के गरीबों के लिए कुछ करेंगे, ताकि उनकी आर्थिकी मजबूत हो सके। उनके मन में ग्रामीण क्षेत्र से हुए पलायन को लेकर भी काफी दुःख था।(भाषा)