जनरल बिपिन रावत को ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र और आतंकवादरोधी अभियानों की कमान संभालने का खासा अनुभव था। उनकी अगुवाई में भारतीय सेना ने कई बड़े ऑपरेशंस को सफलतापूवर्क अंजाम दिया था। जनरल बिपिन रावत का परिवार पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवाएं दे रहा है। उनके पिता सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मणसिंह रावत 1988 में उप सेना प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए थे।
जवाबी कार्रवाई में एक्सपर्ट : बिपिन रावत को आर्मी में ऊंचाई पर जंग लड़ने और काउंटर-इंसर्जेंसी ऑपरेशन यानी जवाबी कार्रवाई के एक्सपर्ट के तौर पर जाना जाता है। वे ऊंचाई पर लड़ने के एक्सपर्ट रहे। सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में चैप्टर-7 मिशन में बहुराष्ट्रीय ब्रिगेड की कमान संभाली थी।
म्यामांर में आतंकियों का सफाया : जनरल बिपिन रावत ने पूर्वोत्तर में आतंकवाद को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जून 2015 में मणिपुर में एक आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए थे। इसके बाद 21 पैरा कमांडो ने सीमा पार जाकर म्यांमार में आतंकी संगठन एनएससीएन-के कई आतंकियों का खात्मा किया था। तब 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी। इसके कमांडर बिपिन रावत ही थे।
मिले यह पुरस्कार : बिपिन रावत उन्हें वीरता और विशिष्ट सेवा के लिए पुरस्कृत भी किया गया, जिनमें यूवाईएसएम, एवीएसएम, वाईएसएम, एसएम, वीएसएम, सीओएएस प्रशस्ति शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र के साथ काम करते हुए उन्हें दो बार फोर्स कमांडर प्रशस्ति पुरस्कार प्राप्त हुए। उन्हें दो मौके पर सीओएएस कमेंडेशन और आर्मी कमेंडेशन भी दिया जा चुका था।