श्रीराम भारतीय कला केंद्र (एसबीकेके) की निदेशक शोभा दीपक सिंह ने कहा, ‘बेहद भारी मन से यह कहना पड़ रहा है कि उन्हें यह सम्मान मरणोपरांत दिया जा रहा है। उन्होंने इस साल मार्च में केंद्र के श्रीराम शंकरलाल संगीत समारोह में गायन किया था और तब लोग इस बात से अनजान थे कि यह उनका लगभग अंतिम कार्यक्रम होगा।’
‘ठुमरी साम्राज्ञी’ का बीते महीने देहांत हुआ था। मार्च में एसबीकेके में अपनी प्रस्तुति के दौरान उन्होंने कहा था, ‘मैं नहीं जानती कि मैं कब तक गाऊंगी, लेकिन यहां गाना मेरे लिए हमेशा घर वापसी के समान है।’ लगभग 80 वर्षीय गायिका एसबीकेके परिवार से इसकी स्थापना के समय वर्ष 1952 से जुड़ी थीं।
इससे पहले यह सम्मान पंडित बिरजू महाराज, पंडिज जसराज, किशोरी अमोनकर, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया एवं अन्य संगीतकारों को दिया जा चुका है।