90 के दशक में योगी आदित्यनाथ के हाथ मठ की कमान आई। योगी ने ‘मठ’ की ताकत बढ़ाई। उनकी हिंदू युवा वाहिनी आसपास के कई जिलों में सक्रिय हुई। गोरखपुर में ब्राह्मणों और राजपूतों के बराबर वोट हैं, लेकिन योगी आदित्यनाथ की ताकत लगातार बढ़ी, ब्राह्मण नेतृत्व कमजोर होता गया। इसके साथ ही ‘हाता’ का असर कम होता गया। उस वक्त शिवप्रताप शुक्ला ब्राह्मणों के सर्वमान्य और ताकतवर नेता थे लेकिन योगी की बढ़ती ताकत के साथ ही उनका राजनीतिक पतन होता चला गया।