CAG की रिपोर्ट में सामने आया सरकार का झूठ, रेलवे को दिखाया था फायदे में

Webdunia
सोमवार, 28 सितम्बर 2020 (11:06 IST)
नई दिल्ली। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने सरकार की भारतीय रेलवे (Indian Railway) की रिपोर्ट पर सरकार का बड़ा झूठ पकड़ा है। हाल में संसद में पेश रिपोर्ट में CAG ने कहा है कि सरकार ने रेलवे को गलत तरीके से फायदे में दिखाया और ऑपरेटिंग कॉस्ट में हेरफेर की।
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रेलवे ने अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर दिखाने के लिए भविष्य की कमाई को अपने खाते में जोड़कर दिखाया। कैग ने रेलवे (Indian Railway) की आर्थिक स्थिति पर चिंता जाहिर की है।  CAG ने रेलवे के आर्थिक हालात से जुड़ी अपनी रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में पेश की थी। 
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे ने साल 2018-19 में अपना ऑपरेटिंग रेशियो 97.27 दिखाया है। हालांकि रेलवे का लक्ष्य ऑपरेटिंग रेशियो को 92.8 रखना था। फिर भी जो आंकड़े रेलवे की तरफ से दिखाए गए, उसके लिए गलत तरीका अपनाया गया। भविष्य की कमाई के आंकड़ों को भी सरकार ने इसमें शामिल किया। 
रेलवे ने एनटीपीसी और CONCOR से भविष्य में मिलने वाले 8,351 करोड़ का माल भाड़ा अपने खाते में जोड़ा। इस तरह से खातों में रेलवे की कमाई ज्यादा दिखाई गई। अगर ये नहीं तो असल में रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो साल 2018 के लिए 101.77 होता यानी उस दौरान रेलवे ने 100 रुपए की कमाई के लिए करीब 102 रुपए खर्च किए। ऑपरेटिंग रेश्यो से ही रेलवे की आर्थिक दशा का अंदाजा लगाया जा सकता है।
 
कोयला ढुलाई से सबसे कैग ने कहा कि रेलवे कोयले ढुलाई से सबसे ज्यादा कमाई करता है। यह उसकी माल ढुलाई से होने वाली कमाई का तकरीबन आधा हिस्सा है। रेलवे कोयले की ढुलाई पर बहुत ज़्यादा निर्भर है और इसमें किसी भी तरह से बदलाव से उसकी कमाई पर बहुत बड़ा असर पड़ सकता है।
 
कोयला ढुलाई से सबसे ज्यादा कमाई : कैग ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि रेलवे ने 2015-16 में एलआईसी से 5 साल में 1.5 लाख ऋण लेने का करार किया था। यह राशि 2015 से 2020 के बीच मिल जानी चाहिए थी लेकिन रेलवे 2015 से 2019 तक केवल 16,200 करोड़ रुपए ही ले पाया।
 
प्रोजेक्ट में देरी पर जताई चिंता : रिपोर्ट में रेलवे प्रोजक्ट में हो रही देरी पर भी चिंता जताई गई है। इसके लिए जोनल रेलवे की क्षमताओं पर सवाल खड़े किए गए हैं। साथ ही इसके लिए रेलवे बोर्ड की भी खिंचाई की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक 395 प्रोजेक्ट्स में से 268 प्रोजेक्ट्स 31 मार्च 2019 तक पूरे नहीं हुए थे। (एजेंसियां)

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