जानकारी के मुताबिक कानून मंत्रालय ने जुलाई-सितंबर, 2016 में चुनाव आयोग को तीन चिट्ठियां लिखी थीं और यह सुझाव दिया था। इस पत्र के जवाब में चुनाव आयोग ने कहा कि प्राइवेट कंपनी को इस महत्वपूर्ण काम की जिम्मेदारी नहीं सौंपी जा सकती है। इससे चुनाव प्रक्रिया पर लोगों का भरोसा कम हो जाएगा।
किस तरह काम करती है वीवीपैट : वोटर वेरीफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी वीवीपैट (VVPAT) व्यवस्था के तहत वोट डालने के तुरंत बाद कागज की एक पर्ची बनती है। इस पर मतदाता ने जिस उम्मीदवार को वोट दिया है, उसका नाम और चुनाव चिह्न छपा होता है। विवाद होने पर ईवीएम में पड़े वोट के साथ पर्ची का मिलान किया जा सकता है।