इस कानून के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। इस कानून को चुनौती देने वालों में कांग्रेस नेता जयराम रमेश, इंडियन मुस्लिम लीग और असम सरकार में बीजेपी की सहयोगी असम गण परिषद शामिल है। सीजेआई जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के लिए सबसे पहली याचिका मुस्लिम लीग ने दायर करते हुए आरोप लगाया गया है कि यह कानून संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ है और इसका स्पष्ट उद्देश्य मुसलमानों के साथ भेदभाव करना है, क्योंकि प्रस्तावित कानून का लाभ सिर्फ हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के सदस्यों को ही मिलेगा।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं को शरणार्थियों को नागरिकता दिए जाने के बारे में कोई शिकायत नहीं है लेकिन याचिकाकर्ता की शिकायत धर्म के आधार पर भेदभाव और अनुचित वर्गीकरण को लेकर है। कहा गया है कि गैरकानूनी शरणार्थी अपने आप में ही एक वर्ग है और इसलिए उनके धर्म, जाति या राष्ट्रीयता के आधार के बगैर ही उन पर कोई कानून लागू किया जाना चाहिए।