हिसार-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-9 पर 29 जुलाई को रात 2 बजे के लगभग हरियाणा में एक मिनी बस के सामने अचानक एक सांड आ जाता है और मिनी बस सांड से टकराकर पलट जाती है और हाईवे पर गूंज जाती है लोगों की दिल दहला देने वाली चीख। इस हादसे में दो लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो जाती है, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं। यह दुर्घटना एक उदाहरण मात्र है। पूरे देश में सड़कों पर न जाने ऐसे कितने हादसे होते हैं और रोज सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा देते हैं।
भूतल परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट पर नजर डालें तो वर्ष 2013 में सिर्फ राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुईं दुर्घटनाओं के चलते 39 हजार 829 लोगों की मौत हो गई, जबकि 2014 में यह आंकड़ा बढ़कर 42 हजार 49 हो गया। यदि देशभर की सड़कों पर दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या की बात करें तो यह आंकड़ा बहुत ही भयावह है। 2013 में सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या लगभग 1 लाख 37 हजार है। अत्यंत दुखद बात है कि रिपोर्ट के मुताबिक प्रतिदिन 16 बच्चों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हो जाती है।
रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015 में औसतन 1 हजार 374 सड़क दुर्घटनाएं प्रतिदिन हुईं, जिनमें रोज मरने वालों का आंकड़ा 400 था। इसके मुताबिक हर घंटे 17 लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा रहे हैं। दुर्भाग्य से दुर्घटनाओं का यह आंकड़ा साल-दर-साल बढ़ ही रहा है। एक जानकारी के मुताबिक वर्ष 2015 में राष्ट्रीय राजमार्ग पर 1 लाख 42 हजार 268 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 51000 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी, जबकि डेढ़ लाख के लगभग लोग जख्मी हुए। दुर्भाग्य से मरने वालों का यह आंकड़ा 2014 की तुलना में ज्यादा ही है।
726 ब्लैक स्पॉट : मंत्रालय ने राजमार्गों पर 726 दुर्घटना संभावित क्षेत्र (ब्लैक स्पॉट) चिह्नित किए हैं। ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां सबसे अधिक दुर्घटनाएं होती हैं। सरकार ने इसके लिए 11 हजार करोड़ रुपए का बजट भी स्वीकृत किया है। दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में सर्वाधिक 100 तमिलनाडु में हैं, जबकि उत्तरप्रदेश में 99 हैं। थोड़े बहुत अंतर के साथ अन्य राज्यों में भी स्थिति ऐसी ही है। शहर के हिसाब से देखें तो राजधानी दिल्ली क्षेत्र दुर्घटनाओं के मामले में सबसे ऊपर है।
ये हैं दुर्घटनाओं के बड़े कारण : यदि हम सिर्फ राजमार्ग की ही बात करें और थोड़ी सावधानी और जागरूकता दिखाएं तो बड़े हादसों से बचा जा सकता है।
* हाईवे पर आवारा पशु दुर्घटना का बड़ा कारण हैं। शासन-प्रशासन को चाहिए कि वह ऐसी व्यवस्था करे ताकि सड़क पर पशु न आ पाएं क्योंकि हाईवे पर तेज गति से चलते वाहनों के सामने अचानक पशु आने वाले दुर्घटना का बड़ा कारण बनते हैं। ऐसी स्थिति में वाहन चालक वाहन पर से नियंत्रण खो बैठता है और दुर्घटना हो जाती है।
* हाईवे से लगे गांवों में सड़क सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने होंगे ताकि लोग अचानक मुख्य सड़क पर न आ सकें।
* हाईवे पर रोड डिवाइडर तो होते हैं, लेकिन लोगों को भी अपनी प्रवृत्ति को बदलना होगा क्योंकि थोड़ी-सी दूरी बचाने के लिए वे हाईवे पर गलत साइड में घुस जाते हैं, जो दुर्घटना का कारण बन जाता है।
* कई वाहन चालक रात के समय वाहनों को बेतरतीब खड़ा कर देते हैं, ऐसे में जिन स्थानों पर रात में प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, वहां दुर्घटनाएं हो जाती हैं और लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है।
* टोल नाकों पर भी लापरवाही साफ दिखाई देती है। वहां लोगों टोल के नाम पर लोगों से पैसा तो वसूला जाता है, लेकिन सुरक्षा के इंतजामों पर खास ध्यान नहीं दिया जाता। टोल नाकों के आसपास मंडराते हुए पशुओं को आसानी से देखा जा सकता है।
देश की बढ़ती जनसंख्या और सड़क सुरक्षा के पर्याप्त उपायों के अभाव में सड़कों पर होने वाली मौतों का यह आंकड़ा थमेगा भी या फिर इसी तरह हर साल बढ़ता रहेगा, इसका जवाब फिलहाल तो किसी के पास दिखाई नहीं देता।
अपील आपसे : राजमार्ग पर होने वाले हादसे किसी क्षेत्र विशेष की समस्या नहीं है बल्कि पूरे भारत में ही लोग इस मुश्किल से जूझते हैं। सैकड़ों लोग अपनी जान भी गंवा देते हैं। अत: आपसे अनुरोध है कि यदि राजमार्ग आवारा पशु, गलत साइड से आते वाहन या फिर कोई हादसा देखते हैं तो उनके वीडियो और फोटो हमारे फेसबुक, https://www.facebook.com/webduniahindi/ और ट्विटर अकाउंट https://twitter.com/WebduniaHindi पर #आवारापशु और#सीधाचलोरे का इस्तेमाल करते हुए हमें टैग करना न भूलें।
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