महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) बीमारी तेजी से पसर रही है। पुणे के बाद अब मुंबई में जीबीएस से पहली मौत हो गई है। महाराष्ट्र में अब जीबीएस से मौत का आंकड़ा 8 पर पहुंच गया है। बता दें कि मुंबई के नायर अस्पताल में वेंटिलेटर पर भर्ती 53 साल के मरीज की मौत हो गई। वडाला के रहने वाले 53 साल के ये मरीज बीएमसी के बीएन देसाई अस्पताल में वार्डबॉय के रूप में कार्य कर रहे थे। नायर आपताल के डीन डॉक्टर शैलेश मोहिते के मुताबिक मरीज काफी दिनों से बीमार थे।
Guillain Barre Syndrome गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) की कारणों का अभी तक सबूत नहीं मिल सका है हालांकि इसको लेकर कई शोध किए गए हैं। यह कहा जा सकता है कि यह बीमारी श्वास संबंधी या गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल में संक्रमण की वजह से होती है। ये भी कहना गलत नहीं होगी कि GBS वैक्सीन के वजह से भी इसका खतरा बढ़ जाता है। माना जाता है कि दूषित खाने या पानी में पाया जाने वाला बैक्टीरिया कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी इस बीमारी का बड़ा कारण है। हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने महाराष्ट्र के स्वास्थ्य और चिकित्सा मंत्रियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की और जीबीएस को नियंत्रित करने के लिए अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदमों और उपायों की समीक्षा की।
इंदौर पहुंचे GBS के दो केस : सीएमएचओ डॉ बीएल सेत्या ने वेबदुनिया को बताया कि इंदौर में फिलहाल गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) के कोई केस दर्ज नहीं हुए हैं। उन्होंने बताया कि लेकिन एक बडवानी और एक खंडवा जिले का केस आया था। दोनों मरीजों में गुलियन बैरे सिंड्रोम के लक्षण थे। उन्होंने बताया कि दोनों मरीज इलाज के बाद ठीक होकर घर चले गए हैं। उन्होंने बताया कि यह बॉडी और वायरस के बीच की एक तरह की लडाई है। ऐसे में जिसकी इम्युनिटी कमजोर है उसे होने की आशंका ज्यादा होती है। जहां तक इसके इलाज की बात है तो हम सिम्टोमेटिक ट्रीटमेंट देते हैं।
पुणे में 192 मरीज, 21 वेंटिलेटर : महाराष्ट्र के पुणे में 9 फरवरी को 37 साल के व्यक्ति ने अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था, जिसके साथ ही शहर में मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 7 हो गया था। इन 7 मामलों में संदिग्ध और कंफर्म, दोनों केस शामिल हैं। इस बीच पुणे में संदिग्ध मरीजों की संख्या बढ़कर 192 हो गई है, जिनमें से 21 मरीज वेंटिलेटर पर हैं।
मुंबई में 16 साल की लड़की बीमार : मुंबई के ही नायर अस्पताल में 16 साल की एक लड़की भी इलाज के लिए एडमिट किया गया है, जो जीबीएस से ग्रसित है। यह मरीज पालघर की रहने वाली है और 10वीं में पढ़ती है।
Guillain Barre Syndrome: क्या है गुलियन बैरे सिंड्रोम: गुलियन बैरे सिंड्रोम (Guillain Barre Syndrome) नाम की यह एक गंभीर बीमारी है। यह एक तरह का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो शरीर के नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। इसमें शरीर का इम्यून सिस्टम, जो आमतौर पर बीमारियों से बचाता है, अचानक शरीर को ही अटैक करना शुरू कर देता है। इसी वजह से इसे ऑटो इम्यून डिसऑर्डर कहा जाता है। इस बीमारी में मरीज मांसपेशियों में दर्द और सांस लेने से जुड़ी दिक्कतों का सामना करता है। गंभीर मामलों में व्यक्ति पूरी तरह से पैरालाइज़्ड भी हो सकता है। साल 2019 में पेरू में इसी तरह की समस्या देखी गई थी, जब campylobacter नाम का एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन तेजी से फैला था।
किस तरह की दिक्कतें आती हैं : इस सिंड्रोम से जूझ रहे मरीज को बोलने में, चलने में, निगलने में, मल त्यागने में या रोज की आम चीजों को करने में दिक्कत आती है। यह स्थिति समय के साथ और खराब होती जाती है। जिससे व्यक्ति का शरीर पैरालाइज हो जाता है।
गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) के लक्षण : गुलियन बैरे सिंड्रोम के पहले लक्षणों में शरीर में झुनझुनी महसूस होना है। इसके अलावा पैरों में कमजोरी महसूस होना जो फैलकर चेहरे की मूवमेंट तक पहुंच जाती है। चलने में दिक्कत आना, दर्द होना और गंभीर मामलों में पैरालिसिस हो जाना।
Guillain Barre Syndrome कैसे होता है: वैज्ञानिकों को अभी तक गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) होने के पीछे की वजहों का पता नहीं चल सका है। हालांकि, आमतौर पर यह बीमारी एक व्यक्ति को तब होती है, जब वह हाल ही में संक्रमण से रिकवर हुआ हो। वैक्सीनेशन इसकी वजह नहीं हो सकती। GBS को साइटोमेगालोवायरस, एप्सटीन बार वायरस, जीका वायरस और यहां तक कि कोविड-19 महामारी से भी जोड़ा जा चुका है।
गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) क्या का उपचार : गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) होने पर मरीज की हालत दो हफ्तों तक खराब होती चली जाती है। चार हफ्तों के बाद लक्षण कम होने लगते हैं, जिसके बाद रिकवरी शुरू होती है। रिकवरी में 6 से लेकर 12 महीनों तक का समय लग सकता है। कई मामलों में मरीज को तीन साल भी लगे हैं। बता दें कि गुलियन बैरे सिंड्रोम का फिलहाल कोई पुख्ता उपचार नहीं हैं, लेकिन इसके उपचार के लिए प्लाज्मा फोरेसिस और हाई इन्युनोग्लोबलिन थेरेपी दी जाती है। पैरालिसिस सिर्फ हाथों और पैरों को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि नर्वस सिस्टम के महत्वपूर्ण हिस्सों को भी करता है, जो सांस, ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कनों को मैनेज करते हैं।
ऐसे करें बचाव?
गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) से बचाव के लिए संतुलित आहार लेना बहुत जरूरी है।
इसके साथ ही रोजाना वर्कआउट या मेडिटेशन करें।
अपना वजन नियंत्रित रखें और अनहेल्दी लाइफस्टाइल से दूर रहें।
दूषित खाने या पानी के सेवन से बचना चाहिए।
कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया भी इस बीमारी का बड़ा कारण है।