डॉ. रामकृष्ण ने कहा कि चूंकि तब मेरे पास वैसा मुकुट खरीदने के पैसे नहीं थे, मैंने अपनी पत्नी को वचन दिया था कि हम भविष्य में साईं बाबा को सोने का मुकुट जरूर चढ़ाएंगे। हालांकि, उनकी पत्नी आज डॉ. रामकृष्ण को अपनी इच्छा पूरा करता देखने के लिए इस दुनिया में नहीं हैं।
डॉ. रामकृष्ण कहते हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद मैंने अमेरिका में 15 साल तक चिकित्सकीय प्रैक्टिस जारी रखी और वहां अर्जित धनराशि के जरिए मैंने अब साईं बाबा के चरणों में सोने का एक मुकुट अर्पित किया है। साईं बाबा मंदिर में सोने का मुकुट चढ़ाते समय डॉ. रामकृष्ण के हाथों में अपनी पत्नी की एक तस्वीर भी थी। (भाषा)