भारत के आर्थिक विकास की क्षमता को देखते हुए सऊदी अरब का मानना है कि हम बड़ी तेजी से सुपर पॉवर बनने की राह पर हैं। सऊदी अरब के तेल मंत्री खालिद अल-फलीह के अनुसार भारत एक ऐसी अर्थव्यवस्था है, जो अगले 2-3 दशकों में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। अल-फलीह हाल ही में दिल्ली में आयोजित सऊदी-भारत फोरम की बैठक को संबोधित कर रहे थे।
खालिद अल-फलीह ने कहा कि सऊदी अरब, भारत में आर्थिक सुधारों को लेकर काफी उत्साहित हैं और हम भारत की इस विकास यात्रा में उसके हमराह होना चाहते हैं। उनके अनुसार 2016 में मोदीजी की यात्रा के बाद से सऊदी अरब हिन्दुस्तान में 44 अरब डॉलर का निवेश कर चुका है। विदेशी निवेश के मामले में सऊदी अरब के निवेशकों के लिए भारत दुनिया की नंबर 1 पसंदीदा जगह है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार के अनुसार सऊदी अरब ऊर्जा, तेलशोधन, पेट्रोकेमिकल्स और आधारभूत ढांचा जैसे क्षेत्रों में 100 अरब डॉलर का निवेश करेगा। फोरम की बैठक में भाग लेने के लिए सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ भारत आए नवाजिंदा समूह के अध्यक्ष डॉ. सईद अल राबिया ने बताया कि सऊदी अरब और भारत के व्यापारिक संबंध का मूल आधार तेल है इसमें कोई शक नहीं है, लेकिन हम मात्र विपणक या विक्रेता नहीं हैं। दरअसल हम निवेशक हैं। इसलिए हम चाहते हैं कि हमारे यहां की अरमको, साबिक, एनटीटी, मसह और नवाजिंदा जैसी बड़ी कंपनियों की हिन्दुस्तान में भी अपनी पहचान हो।
मसह कंपनी के पार्टनर और महाप्रबंधक इंजीनियर मोहम्मद अब्दुल नईम ने बताया कि सऊदी-भारत फोरम की बैठक सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भारत यात्रा के साथ ही आयोजित की गई ताकि किसी भी तरह का फैसला मौके पर ही लिया जा सके। उनके मुताबिक फोरम में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, विप्रो और ग्लेनमार्क सहित कई अन्य भारतीय कंपनियों ने सऊदी अरब में निवेश के लिए 15 समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
डब्ल्यूबीजी समूह के सीईओ इंजीनियर मोहम्मद शकील के अनुसार सऊदी-भारत फोरम ने अपने सभी उद्देश्यों को हासिल किया। उनके अनुसार सऊदी में ऊर्जा, तेलशोधन, पेट्रोकेमिकल्स और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में आने वाली बड़ी से बड़ी कंपनियों की दिली ख्वाहिश है कि उसकी भारत में अपनी पहचान हो और उसे देश का बच्चा बच्चा-बच्चा जाने। आरजीटीटी कंपनी के निदेशक डॉ. मोहम्मद अली अशरफ के अनुसार फोरम में दोनों देशों की कंपनियों ने रणनीतिक संबंध बनाए और निवेश के अवसरों की पहचान की और आर्थिक सहयोग के लिए नए रास्ते बनाने के साथ-साथ दीर्घकालिक आर्थिक साझेदारी के लिए अपने संबंध मजबूत किए।
सऊदी जनरल इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी ने अपने एक बयान में कहा कि फोरम में दोनों देशों की कंपनियों ने ऊर्जा, जल, प्रौद्योगिकी, कला और मनोरंजन, स्वास्थ्य, व्यापार और निवेश के क्षेत्र में कई रणनीतिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए। फोरम में भारत की 4 कंपनियों को तकरीबन 200 करोड़ रुपए के लाइसेंस भी दिए गए।
बैठक की अध्यक्षता सऊदी चैम्बर्स की कौंसिल के अध्यक्ष डॉ. सामी अल ओबैदी ने की।
इस बैठक में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ व्यापारिक प्रतिनिधि के रूप में आए सऊदी अरब की 25 चुनिंदा व्यापारिक हस्तियों के साथ भारत के तकरीबन 400 कारोबारियों या उनके प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। फोरम में भारत और सऊदी अरब की कंपनियों ने खनिज, अन्वेषण, मनोरंजन, फार्मास्युटिकल्स, संचार और सूचना तकनीक सहित विभिन्न क्षेत्रों में मिलकर काम करने के लिए 9 समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
बैठक में सऊदी अरब के तेलमंत्री खालिद अल-फलीह के अलावा कॉमर्स एवं निवेश मंत्री माजिद अल कसाबी, ऊर्जा, आर्थिक विकास एवं योजना मंत्री मोहम्मद अल तवाईजरी, ट्रांसपोर्ट मंत्री डॉ. नबी अल अमोड़ी आदि ने भी हिस्सा लिया। समय-समय पर क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी बैठक की प्रगति का जायजा लेते रहे।
सऊदी अरब की भारत में बढ़ती दिलचस्पी को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी महसूस किया और बताया कि 21वीं सदी में सऊदी अरब भारत के सबसे बेशकीमती सामरिक सहयोगियों में से एक है।