भारत में परमाणु हादसे की आशंका बेहद कम : कुमार

रविवार, 19 मार्च 2017 (13:48 IST)
नई दिल्ली। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) के वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत में किसी भी परमाणु हादसे की आशंका बेहद कम है और देश के परमाणु रिएक्टर पूरी तरह सुरक्षित हैं। इसलिए लोगों को विकिरण या अन्य किसी आशंका के चलते परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के प्रति शंकालु नहीं होना चाहिए।

हाल में परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा मुंबई स्थित बार्क में परमाणु ऊर्जा पर आयोजित 5 दिवसीय कार्यशाला में परमाणु वैज्ञानिकों ने कहा कि परमाणु संयंत्रों के आसपास के लोगों को विकिरण या किसी हादसे की आशंका को लेकर भयभीत नहीं होना चाहिए, क्योंकि देश के परमाणु प्रतिष्ठान पूरी तरह सुरक्षित हैं और इनसे होने वाला विकिरण नियत सीमा से भी सैकड़ों गुना कम होता है।
 
इस दौरान बार्क की विकिरण सुरक्षा प्रणाली के प्रमुख और स्वास्थ्य सुरक्षा एवं पर्यावरण समूह के निदेशक डॉ. केएस प्रदीप कुमार ने विशेष बातचीत में कहा कि परमाणु संयंत्रों को लेकर देश में विगत में कुछ जगहों पर हुआ विरोध प्रदर्शन लोगों के मन में व्याप्त गलत धारणा का नतीजा था।
 
दिल्ली के मायापुरी में हुई विकिरण की घटना के समय रेडियोधर्मिता के स्रोत का पता लगाने वाले कुमार ने कहा कि देश में किसी परमाणु हादसे की संभावना बेहद कम है और भारत के परमाणु रिएक्टर पूरी तरह सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि लोगों के मन में गलत धारणा है कि परमाणु संयंत्रों की वजह से आसपास के इलाकों में विकिरण होता है और इससे स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है।
 
बार्क के स्वास्थ्य सुरक्षा एवं पर्यावरण समूह के निदेशक ने विकिरण को जीवन का हिस्सा बताते हुए कहा कि हम सभी विकिरण के साथ ही पैदा होते हैं। कुछ विकिरण स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। खाने-पीने, चलने-फिरने और यात्रा करने जैसी हमारी हर गतिविधि में विकिरण होता है। पानी पीने, दूध पीने, बीयर पीने, हर चीज में विकिरण है। 
 
परमाणु वैज्ञानिक के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को प्राकृतिक पृष्ठभूमि से प्रतिवर्ष 2,400 माइक्रो सीवर्ट विकिरण मिलता है। नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र की सीमा के 1.6 किलोमीटर तक विकिरण स्तर 1,000 माइक्रो सीवर्ट की अनुमत सीमा का महज 1 से 2 प्रतिशत ही होता है। उन्होंने कहा कि इसलिए परमाणु संयंत्रों से डर निराधार है। नाभिकीय ऊर्जा संयंत्रों से आमजन में विकिरण उत्सर्जन से खतरा नगण्य है।
 
कुमार ने कहा कि परमाणु रिएक्टर किसी परमाणु बम की तरह नहीं होता। परमाणु संयंत्रों को लेकर डर केवल एक मिथक है। लोगों को लगता है कि परमाणु रिएक्टरों के विकिरण से कैंसर हो सकता है, लेकिन यह धारणा पूरी तरह कपोल-कल्पित है। परमाणु रिएक्टरों के आसपास विकिरण की सीमा इतनी नगण्य है कि इससे स्वास्थ्य के लिए किसी तरह का कोई खतरा नहीं होता।
 
उन्होंने कहा कि हम परमाणु रिएक्टरों के पास रहने वालों को कैंसर क्यों होने देंगे। बल्कि हम तो परमाणु रिएक्टरों में कैंसर के उपचार के लिए रेडियो आइसोटोप बनाते हैं। हम लोग तो मानवता के लिए काम करते हैं। कुमार ने कहा कि दिल्ली के मायापुरी में हुई विकिरण की घटना में एक आदमी की मौत हुई थी और वह मौत इसलिए हुई थी, क्योंकि वह व्यक्ति विकिरण की हाई डोज का शिकार हो गया था।
 
उन्होंने कहा कि लेकिन मीडिया ने हौव्वा खड़ा कर दिया, लोगों में दहशत पैदा कर दी। मैंने उस विकिरण के स्रोत का पता लगाया था। जब मुझे ही कुछ नहीं हुआ तो अन्य लोगों को क्यों होता? कुमार ने कहा कि फुकुशिमा हादसे में भी कोई व्यक्ति प्रभावित नहीं हुआ, लेकिन मीडिया घटनास्थल से 6 हजार किलोमीटर दूर तक भी विकिरण के पहुंचने की झूठी खबर देता रहा।
 
परमाणु वैज्ञानिक ने कहा कि विकिरण प्राकृतिक रूप से धीरे-धीरे अपने आप खत्म हो जाता है इसलिए किसी घटना की वजह से महीनों तक भयभीत रहना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि यदि भारत में कहीं भी परमाणु संयंत्र स्थापित होते हैं तो उनका विरोध नहीं होना चाहिए। देश के परमाणु प्रतिष्ठान सर्वश्रेष्ठ और पूरी तरह सुरक्षित हैं तथा किसी भी हादसे की संभावना अत्यंत कम है।
 
कुमार ने कहा कि देश के पास किसी भी आपात स्थिति के मद्देनजर आधुनिकतम निगरानी एवं नियंत्रण प्रणाली है। समय के साथ-साथ तमाम सुरक्षा उपाय किए गए हैं। (भाषा)

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