भारतीय सेना को मिला 'Free hand', चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की पूरी आजादी
रविवार, 21 जून 2020 (23:43 IST)
नई दिल्ली। चीन के साथ लगती 3,500 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात सशस्त्र बलों को बीजिंग के किसी भी दुस्साहस का ‘मुंहतोड़’ जवाब देने की ‘पूरी आजादी’ दे दी गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ पूर्वी लद्दाख में स्थिति की समीक्षा किए जाने के बाद सूत्रों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि सेना के जमीनी कमांडरों को दुर्लभ मामलों में आग्नेयास्त्रों के इस्तेमाल की अनुमति दे दी गई है। इससे पहले दोनों देशों की सेनाओं के बीच दशकों से यह समझ चली आ रही थी कि टकराव के दौरान वे आग्नेयास्त्रों की शक्ति का इस्तेमाल नहीं करेंगी।
सरकार ने सेना के तीनों अंगों को सीमा पर चीन के साथ तनाव के मद्देनजर हथियार एवं गोला-बारूद खरीदने के लिए प्रति खरीद 500 करोड़ रुपए तक की अतिरिक्त सहायता वित्तीय शक्तियां भी प्रदान कर दी हैं।
सूत्रों ने बताया कि बैठक में रक्षा मंत्री ने पूर्वी लद्दाख तथा अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में समूची सुरक्षा स्थिति की समग्र समीक्षा की।
रक्षा मंत्री के साथ इस बैठक में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने हिस्सा लिया।
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को चीन के साथ हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिकों के शहीद होने के बाद भारत ने चीन से लगती सीमा पर अग्रिम इलाकों में लड़ाकू विमानों और हजारों की संख्या में अतिरिक्त सैनिकों को पहले ही तैनात कर दिया है।
गलवान घाटी में हिंसा 45 वर्षों में सीमा पर संघर्ष की यह सबसे बड़ी घटना है और इससे दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। हालात के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन को कड़ा संदेश दिया है कि, ‘भारत शांति चाहता है लेकिन अगर उकसाया गया तो भारत मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है।’
सूत्रों ने कहा कि गलवान घाटी की घटना के बाद भारतीय सैनिक टकराव की हालत में अग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल नहीं करने की लंबी समय से चली आ रही परंपरा को मानने के लिए बाध्य नहीं होंगे। भारतीय सेना द्वारा इस बारे में जल्द ही चीनी सेना को सूचना दिए जाने की संभावना है।
उन्होंने बताया कि सशस्त्र बलों को चीनी सैनिकों के किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार रहने को कहा गया है और सीमा की रक्षा के लिए ‘‘सख्त’’ कदम उठाए जा रहे हैं।
सीमा प्रबंधन पर 1996 और 2005 में हुए दो समझौतों के अनुरूप दोनों देशों की सेनाओं ने टकराव की स्थिति में आग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल न करने का पारस्परिक निर्णय किया था।
सेना के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘अब से हमारा तरीका अलग होगा। जमीनी कमांडरों को स्थिति के अनुरूप निर्णय लेने की पूरी स्वतंत्रता दे दी गई है।’’
सूत्रों ने बताया कि रविवार को हुई बैठक में सिंह ने शीर्ष सैन्य अधिकारियों को जमीनी सीमा, हवाई क्षेत्र और रणनीतिक समुद्री मार्गों में चीन की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए।
भारतीय वायुसेना ने पिछले पांच दिन में लेह और श्रीनगर सहित वायुसेना के अहम अड्डों पर सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर, मिराज 2000 विमान और अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर तैनात कर दिए हैं।
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने शनिवार को कहा था कि भारतीय वायुसेना चीन के साथ लगती सीमा पर किसी भी सुरक्षा चुनौती का सामना करने के लिए ‘पूरी तरह तैयार है’ और ‘उपयुक्त जगह पर तैनात है।’
उन्होंने यहां तक संकेत दिए थे कि कड़ी तैयारियों के तहत उनके बल ने लद्दाख क्षेत्र में लड़ाकू हवाई गश्त की है। लड़ाकू हवाई गश्त के तहत विशिष्ट मिशनों के लिए सशस्त्र लड़ाकू विमानों को कम समय में रवाना किया जा सकता है।
भारत और चीन की सेनाओं के बीच पांच मई से पूर्वी लद्दाख के गलवान और कई अन्य इलाकों में गतिरोध जारी है। पांच मई को पैंगोग त्सो क्षेत्र में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी।
पूर्वी लद्दाख में पांच और छह मई को करीब 250 चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच संघर्ष के बाद हालात बिगड़ गए थे। इसके बाद नौ मई को उत्तरी सिक्किम में भी ऐसी ही घटना हुई थी।
रक्षा मंत्री की यह समीक्षा बैठक द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी पर सोवियत संघ की विजय की 75वीं वर्षगांठ पर सैन्य परेड में हिस्सा लेने के लिए तीन दिवसीय रूस यात्रा पर रवाना होने से एक दिन पहले हुई है। (भाषा)