रक्षा सूत्रों के अनुसार, जम्मू सेक्टर में तैनात एयर डिफैंस के चीतों ने इन हमलों को नाकाम बनाया है। रक्षा सूत्रों ने इन हमलों में भारतीय पक्ष को कोई क्षति नहीं होने का दावा किया है। हालांकि वे मानते हैं कि खतरा अभी टला नहीं है और पाकिस्तान की ओर से फिर से हमले करने की आशंका बनी हुई है।
1971 के भारत पाक युद्ध के उपरांत यह पहला मौका था कि पाकिस्तान की ओर से पूरे प्रदेश में शहरों और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की कोशिश की गई थी। वर्ष 1999 के करगिल युद्ध, 2001 में संसद पर हुए हमले के उपरांत युद्ध के करीब हालात, उड़ी और फिर पुलवामा हमले के उपरांत भारतीय स्ट्राइक के दौरान भी जम्मू कश्मीर की जनता ने ऐसे हमलों को नहीं देखा था। इतना जरूर था कि एलओसी पर पाक सेना के तोपखानों के मुंह कभी बंद ही नहीं हुए थे।
जानकारी के लिए जम्मू का एयरफोर्स हवाई अड्डा पूरी तरह से पाक सेना के 105 एमएम के तोपखानों की मार के भीतर है। और सभी युद्धों के दौरान पाक का सारा जोर इस हवाई अड्डे को क्षति पहुंचाने का रहा है। यही नहीं तीन युद्धों के दौरान उसने तवी दरिया पर बने पुलों को कई बार उड़ा देने की नापाक कोशिश की पर कभी कामयाब नहीं हो पाया। ऐसे में अधिकारी कहते थे कि खतरा अभी टला नहीं है।
विमानभेदी तोपों और मिसाइलों की तैनाती : कल रात और आज तड़के पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइलों के हमलों के बाद ऐसे हमलों की पुनर्रावृत्ति को रोकने की खातिर कई अन्य सामरिक महत्व के प्रतिष्ठानों की सुरक्षा की खातिर विमानभेदी तोपों और मिसाइलों की तैनाती की जाने लगी है। हवाई हमलों की चेतावनी जारी करते हुए जम्मू सीमा के सेक्टरों में भी विमानभेदी तोपों को महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर तैनात किया गया है।