भारत को क्यों चाहिए 35 टैंकर खून?

भारत में मेडिकल प्रक्रियाओं की पूर्ति के लिए 35 टैंकर खून की जरूरत है। भारत सरकार के इंडिया स्पैंड डाटा के अनुसार, कुछ क्षेत्रों में खून बर्बाद कर दिया जाता है क्योंकि वहां यह अत्यधिक मात्रा में मौजूद है। 


 














 
हमारे देश में खून की कमी 1.1 मिलियन यूनिट (जिसमें खून मापा जाता है)। 1 यूनिट 350 मिलीलीटर या 450 मिलीलीटर होती है। 2015-16 के लिए देश के हैल्थ और फैमेली वेलफेयर मिनिस्टर जे पी नाडा ने लोकसभा में इस कमी की जानकारी दी थी। इस जानकारी को टैंकरों में मापा जाए तो यह करीब 35 टैंकर खून के बराबर है। यह मानते हुए कि एक टैंकर ट्रक में 11,000 लीटर खून आ सकता है।
 
प्रतिशत के रूप में, भारत के पास 9 प्रतिशत खून कम है। सरकार के डाटा के अनुसार, भारत में 2,708 बल्ड बैंक हैं परंतु बावजूद इसके 81 जिलों में एक भी ब्लडबैंक नहीं है। छत्तीसगढ़ के अधिकतर जिलों में ब्लडबैंक नहीं हैं। इसके बाद असम और अरूणाचल प्रदेश में कई जिलों में ब्लड बैंक नहीं हैं। 
 
ग्रामीण इलाकों में हालत और भी खराब है। खून की कमी की समस्या की एक वजह किसी केंद्रीय संग्रही एजेंसी का न होना है। जिसके चलते खून के कलेक्शन में कोई सही प्रक्रिया का इस्तेमाल नहीं होता। कुछ इलाकों में एक ही टाइम पर बहुत अधिक खून संग्रहित हो जाता है बजाय एक नियत अंतराल के बाद ब्लड कलेक्शन के।  
 
जनवरी 2011 से दिसंबर 2015 के बीच, द एशियन एज की रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई के 63 ब्लडबैंक में 130,000 लीटर ब्लड बर्बाद किया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि इस खून को फेंक दिया गया क्योंकि यह बहुत लंबे समय से संग्रहित था।  

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