भारत को पाकिस्तान की ‘नई शर्ते’ मंजूर नहीं

शनिवार, 22 अगस्त 2015 (00:27 IST)
नई दिल्ली। भारत ने पाकिस्तान को सूचित कर दिया है कि वह वार्ता के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन पड़ोसी देश द्वारा लगाई गई ‘नई एकतरफा’ शर्तो के आधार पर ‘आगे नहीं बढ़ा’ जा सकता।
भारत महसूस करता है कि पाकिस्तान कभी भी उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच वार्ताओं को लेकर गंभीर नहीं रहा और उफा शिखर बैठक के नतीजों के बावजूद पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा जम्मू कश्मीर में नागरिकों को निशाना बनाते हुए की जाने वाली गोलाबारी में वृद्धि हुई और साथ ही दो बड़े आतंकवादी हमलों के अलावा घुसपैठ की घटनाओं में भी इजाफा हुआ।
 
नई दिल्ली में आकलन यह है कि एनएसए स्तरीय वार्ताओं में पाकिस्तान की स्थिति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच दस जुलाई को उफा में बनी सहमति के विपरीत है क्योंकि इस्लामाबाद ने इस समझ की ‘तोड़मरोड़ कर व्याख्या’ की है । भारत ने पाकिस्तान को यह संदेश दे दिया है कि उसकी ‘एकतरफा नई शर्ते थोपना’ और दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच बनी सहमति की ‘तोड़मरोड़ कर की गयी व्याख्या’ स्वीकार्य नहीं है ।
 
भारत महसूस करता है कि पाकिस्तान उफा समझौते से पीछे हटा है क्योंकि उस देश में ‘कुछ ताकतें’ हैं जो नहीं चाहतीं कि वार्ता आगे बढ़े। दो शीर्ष सुरक्षा सलाहकारों के बीच वार्ता पर पाकिस्तान ने जो रूख अपनाया है, उससे यहां सरकार को कोई हैरानी नहीं हुई है। अब समझ आ गया है कि पाकिस्तान एनएसए सरताज अजीज के अपने भारतीय समकक्ष अजित डोभाल से वार्ता के लिए यहां आने की कोई संभावना नहीं है।
 
भारत ने पाकिस्तान को यह साफ कर दिया था कि अलगाववादियों और सरताज अजीज के साथ मुलाकात स्वीकार्य नहीं है। पाकिस्तान ने इस पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए जोर दिया कि वह अलगाववादी नेताओं से मुलाकात की ‘स्थापित पूर्व परंपरा’ से पीछे नहीं हटेगा और साथ ही उसने इस संबंध में भारत की सलाह को नकार दिया। 
 
भारत ने इस पर पलटवार करते हुए पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ के बीच उफा में आतंकवाद पर ठोस वार्ता में शामिल होने को लेकर जो सहमति बनी थी, वह उस प्रतिबद्धता से बचने का प्रयास कर रहा है।
 
भारत ने कहा कि एक पूर्व शर्त के तौर पर पाकिस्तान का हुर्रियत नेताओं से मुलाकात करने पर जोर देना, उफा में बनी समझ से पूरी तरह अलग हटना है। इतना ही नहीं, भारत ने हमेशा यह रूख अपनाया है कि द्विपक्षीय वार्ता में केवल दो पक्षकार हैं , तीन नहीं।
 
विदेश विभाग के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि एकतरफा नयी शर्ते थोपना और ‘सहमति के एजेंडे को तोड़ना मरोड़ना, आगे बढ़ने का आधार नहीं हो सकते।’

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख का भारत-पाक से ‘वार्ता पर लौटने’ का आह्वान : भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच प्रस्तावित वार्ता पर गतिरोध पैदा होने के बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने दोनों पक्षों से जनता के हित में ‘वार्ता पर लौटने’ तथा अधिक से अधिक संयम बरतने का आह्वान किया।
 
महासचिव के सहायक प्रवक्ता ऐरी कानेको ने बताया, ‘संयुक्त राष्ट्र प्रमुख दोनों पक्षों से अपील करेंगे कि वे नागरिकों के श्रेष्ठ हितों और जो कुछ उनकी सुरक्षा को सर्वाधिक महत्व देता हो, उसे ध्यान में रखें।’ कानेको ने कहा, ‘वह दोनों पक्षों से अपील करेंगे कि वे अपने लोगों के हित में वार्ता पर लौटें।’ 
 
उनसे प्रस्तावित एनएसए स्तर की वार्ता के अधर में लटकने के बारे में पूछा गया था। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीरी अलगाववादियों से मुलाकात करने की पाकिस्तान की मांग स्वीकार्य नहीं है। (भाषा)

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