स्वरूप ने कहा कि बहरहाल, भारत उस देश को लगातार यह बताता रहेगा कि एक दूसरे के हितों, चिंताओं और प्राथमिकताओं के बारे में परस्पर सहमति के आधार पर ही रिश्ते आगे बढ़ते हैं। यह ऐसा मामला (एनएसजी की सदस्यता) है जिस पर हम चर्चा करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे क्योंकि यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता है।