नई दिल्ली। सरकार ने तीनों सेनाओं को अत्याधुनिक हथियारों से लैस करने की मुहिम के तहत इनके लिए 12 हजार करोड़ रुपए से अधिक की लागत से सात लाख 40 हजार असाल्ट रायफलें खरीदने की मंजूरी दी है।
रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां हुई रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में लगभग 15 हजार 935 करोड़ रुपए के सौदों को मंजूरी दी गई। इन सौदों में 12 हजार 280 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से तीनों सेनाओं के लिए सात लाख 40 हजार अत्याधुनिक असाल्ट रायफलें, सेना और वायु सेना के लिए 982 करोड़ रुपए की 5 हजार 719 स्नाइपर रायफलें, 1819 करोड़ रुपए से तीनों सेनाओं के लिए हल्की मशीनगन और 850 करोड़ रुपए की लागत से नौसेना के लिए अत्याधुनिक तॉरपीडो प्रणाली खरीदी जाएगी।
डीएसी ने पिछली बैठक में भी सेना के अग्रिम मोर्चे पर तैनात जवानों के लिए रायफलों, कारबाइन और हल्की मशीनगन की खरीद को मंजूरी दी थी।
रक्षा सूत्रों के अनुसार, असाल्ट रायफलों से तीनों सेनाओं के जवानों को लैस किया जाएगा और ये रायफलें 'बाय एंड मेक इंडियन' श्रेणी के तहत आयुध फैक्ट्रियों तथा निजी क्षेत्र से खरीदी जाएंगी। सरकार के इस निर्णय को जहां सेनाओं को अत्याधुनिक हथियार थमाकर मजबूत बनाने की दिशा में बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है वहीं इससे सरकार की रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया और निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने की योजना को भी बल मिलेगा।
सरकार ने तीनों सेनाओं के लिए असाल्ट रायफलों के साथ-साथ फास्ट ट्रैक प्रक्रिया से जरूरत के अनुसार अत्याधुनिक हल्की मशीनगन खरीदने की भी मंजूरी दी है। ये मशीनगन खासतौर पर सीमाओं पर तैनात सैनिकों को दी जाएंगी। इससे सेनाओं की तात्कालिक जरूरतें तो पूरी होंगी ही विभिन्न तरह के अभियान चलाने संबंधी उनकी जरूरतों को पूरा करने में भी मदद मिलेगी। सरकार बाकी मशीनगन की खरीद 'बाय एंड मेक इंडियन' श्रेणी के तहत खरीदे जाने के प्रस्ताव पर भी विचार कर रही है।
वायुसेना और सेना के जवानों को अचूक हथियार मुहैया कराने के लिए 5 हजार 719 स्नाइपर रायफलें खरीदी जाएंगी। यह खरीद 'बाय ग्लोबल' श्रेणी के तहत की जाएंगी लेकिन इन हथियारों के लिए गोलियां शुरू में खरीदी जाएंगी तथा बाद में इन्हें देश में ही बनाया जाएगा।
नौसेना के युद्धपोतों की पनडुब्बीरोधी क्षमता बढ़ाने के लिए एडवांस तॉरपीडो डिकॉय सिस्टम 'मारीछ' की खरीद को मंजूरी दी गई है। मारीछ प्रणाली रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने देश में ही विकसित की है। इस प्रणाली का गहन परीक्षण और जांच की गई है, जो पूरी तरह सफल रही है। यह प्रणाली भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा बनाई जाएगी।
आतंकवादियों द्वारा सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाए जाने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सरकार के इस निर्णय को सैन्यकर्मियों को अत्याधुनिक हथियारों से लैस करने की दिशा में बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है, जिससे कि सैन्यकर्मी इन हमलों को विफल कर सकें तथा इनका मुंहतोड़ जवाब दे सकें। (वार्ता)