Indian Railways की 10 वर्षों में सबसे खराब हालत, CAG की रिपोर्ट से मोदी सरकार को बड़ा झटका
सोमवार, 2 दिसंबर 2019 (20:45 IST)
नई दिल्ली। आने वाले वर्षों में मोदी सरकार बुलेट ट्रेन की तैयारी में जरूर जुटी हुई है लेकिन उससे पहले नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की जो रिपोर्ट सामने आई है, उससे बहुत बड़ा झटका लगा है। इस रिपोर्ट में बताया गया कि देश में बीते 10 वर्षों में भारतीय रेल परिचालन अनुपात सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।
ये हैं वास्तविक आंकड़े : CAG की रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2008-09 में रेलवे का परिचालन अनुपात 90.48 फीसदी, 2009-10 में 95.28 फीसदी, 2010-11 में 94.59 फीसदी, 2011-12 में 94.85 फीसदी, 2012-13 में 90.19 फीसदी 2013-14 में 93.6 फीसदी, 2014-15 में 91.25 फीसदी, 2015-16 में 90.49 फीसदी, 2016-17 में 96.5 फीसदी और 2017-18 में 98.44 फीसदी तक पहुंच चुका है।
100 रुपए कमाने के लिए 98.44 रुपए का खर्च : CAG ने सिफारिश की है कि रेलवे को आंतरिक राजस्व बढ़ाने के लिए उपाय करने चाहिए ताकि सकल और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों पर निर्भरता कम की जा सके। रेलवे में इस परिचालन अनुपात (ओआर) का तात्पर्य यह है कि रेलवे ने 100 रुपए कमाने के लिए 98.44 रुपए व्यय किए। यानी 2 फीसदी पैसा भी नहीं कमा रही है रेलवे। भारतीय रेल का परिचालन अनुपात 2017-18 में 98.44 फीसदी रहने का मुख्य कारण संचालन व्यय में उच्च वृद्धि है।
कुल संचालन व्यय 71 प्रतिशत : रिपोर्ट के अनुसार कर्मचारी लागत, पेंशन भुगतानों और रोलिंग स्टाक पर पट्टा किराया के प्रतिबद्ध व्यय 2017-18 में कुल संचालन व्यय का लगभग 71 प्रतिशत था। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रेल का कुल व्यय 2016-17 में 2,68,759.62 करोड़ रुपए से 2017-18 में बढ़कर 2,79,249.50 करोड़ रुपए हो गया जबकि पूंजीगत व्यय 5.82 प्रतिशत से घटा है और वर्ष के दौरान राजस्व व्यय में 10.47 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
हिस्सेदारी 2017-18 में घटी : रिपोर्ट में कहा गया है कि रेल का सबसे बड़ा संसाधन माल भाड़ा है और उसके बाद अतिरिक्त बजटीय संसाधन और यात्री आय है। यद्यपि अतिरिक्त बजटीय संसाधन और डीजल सेस की हिस्सेदारी 2017-18 में बढ़ गई है। 2016-17 के दौरान प्राप्ति के औसत आंकड़ों की तुलना में माल भाड़ा, यात्री आय, जीबीएस और अन्य हिस्सेदारी 2017-18 में घट गई।
प्रथम 3 वर्षो में अनुमानित राशि लक्ष्य से कम : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2015 से 20 तक 5 वर्ष की अवधि के लिए लक्षित 1.5 लाख करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता की तुलना में प्रथम 3 वर्षो (2015 से 2018) के दौरान अनुमानित राशि लक्ष्य से कम है।
क्रैग ने दिए सुझाव : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने भारतीय रेलवे की आय बढ़ाने के लिए सुझाव भी दिए हैं, जिसमें कहा गया है कि सकल और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों पर निर्भरता को कम किया जाना चाहिए। चालू वित्त वर्ष के दौरान रेल के पूंजीगत व्यय में कटौती के अलावा भारतीय रेलवे बाजार से प्राप्त निधियों का पूर्ण रूप से उपयोग सुनिश्चित करे।