Union Carbide Waste : लंबे विवाद और कुछ प्रदर्शनों के बाद उच्च न्यायालय ने यूनियन कार्बाइड कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए सरकार को 6 सप्ताह का समय दिया है। भोपाल से लाए गए यूनियन कार्बाइड कचरे के कंटेनर पीथमपुर में स्थित रामकी कंपनी के परिसर में खडे हैं। पीथमपुर और आसपास के इलाकों के विरोध के चलते यूनियन कार्बाइड कचरे को जलाने की प्रक्रिया रोक दी गई थी।
अब इस कचरे से होने वाले नुकसान या इसके असर की जांच की जाएगी, यह जांच सरकार को सौंपी जाएगी इसके बाद कचरे को जलाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। बता दें कि कचरा जलाने से होने वाले असर की जांच रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा इंदौर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज को मिला है। मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेंगे और सरकार को भेजेंगे। इंदौर मेडिकल कॉलेज की टीम ने स्टडी शुरू कर दी है।
MGM ऐसे तैयार करेगा रिपोर्ट: खास बात है कि यूनियन कर्बाइड का कचरा जलाने पर होने वाले असर को लेकर जांच का जिम्मा इंदौर के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज को मिला है। यहां के डॉक्टरों की एक टीम मौके पर जाकर रहवासियों से चर्चा कर रही है। इसके बाद एक स्टडी की जाएगी। जिसमें यह पता लगाया जाएगा कि इस कचरे के पर्यावरण और स्वास्थ्य पर क्या असर हो सकते हैं। इस जांच रिपोर्ट के लिए बेहद डिटेल्ड रिसर्च की जा रही है ताकि हर पहलू का निष्पक्ष और सटीक विश्लेषण किया जा सके। एमजीएम कॉलेज के विशेषज्ञों की टीम इस काम में जुट गई है।
सरकार को भेजेंगे रिसर्च : यह जांच रिपोर्ट तैयार होने के बाद मेडिकल की टीम इसे शासन को भेजेगी। बता दें कि यह रिपोर्ट भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग, मध्य प्रदेश शासन के निर्देशों के तहत बनाई जा रही है।
कैंसर और स्किन की तकलीफें बढ़ी : बता दें कि पीथमपुर एक इंडस्ट्रियल एरिया है, यहां कई तरह के कैमिकल की फैक्ट्रियां संचालित हो रही हैं। ऐसे में यहां रहने वाले नागरिकों का आरोप है कि साल 2015 में 10 टन कचरा जलाने से यहां का पानी का रंग लाल हो गया था। इसके बाद लोगों में त्वचा यानी स्किन एलर्जी और दूसरी समस्याओं के साथ ही कैंसर के मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। ऐसे में यहां के रहवासी भोपाल गैस त्रासदी का यूनियन कार्बाइड कचरा किसी भी कीमत पर नहीं जलाने देने पर अडे हुए हैं।
337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा पीथमपुर लाए थे : बता दें कि इसी महीने भोपाल गैस त्रासदी से पैदा हुआ यूनियन कार्बाइड का घातक कचरा इंदौर होते हुए कुछ ही किमी की दूरी पर पीथमपुर में जलाने के लिए लाया गया था। यूनियन कार्बाइड का 337 मीट्रिक टन जहरीला कचरा पीथमपुर स्थित रामकी कंपनी पहुंचाया गया। पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक इससे बड़ी मात्रा में ऑर्गेनोक्लोरीन निकल सकता हैं, डाइऑक्सिन और फ्यूरान जैसे कार्सिनोजेनिक रसायन उत्पन्न हो सकते हैं, जो लोगों आम लोगों के साथ ही पर्यावरण के लिए बहुत घातक हो सकते हैं। Edited By: Navin Rangiyal