घुसपैठ नहीं रुकी, गर्मियों में बढ़ेगी मुसीबत

सुरेश एस डुग्गर

शनिवार, 30 अप्रैल 2016 (17:33 IST)
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में इस बार की गर्मियां सीमांत क्षेत्रों के लोगों के लिए भयानक साबित हो सकती हैं। आशंका जाहिर करने वाले सेनाधिकारी इस साल के पहले तीन महीनों के दौरान सीमा पार से होने वाली घुसपैठ के आंकड़ों का हवाला देते हैं। अप्रत्यक्ष तौर पर वे कहते थे कि सभी उपाय आतंकियों के कदमों को इस ओर बढ़ने से रोक नहीं पा रहे हैं।
 
आधिकारिक आंकड़ा आप सेना के उस दावे की धज्जियां उड़ा रहा है जिसमें सेना ने पिछले साल भी जीरो घुसपैठ का दावा किया था और इस साल भी वह कहती थी कि आतंकियों को किसी भी कीमत पर इस ओर घुसने नहीं दिया जाएगा। पर सेना प्रवक्ता द्वारा जारी आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं।
 
सेना प्रवक्ता का प्रेस नोट कहता है कि इस साल अभी तक पहले तीन महीनों में तकरीबन 24 बार सशस्त्र आतंकियों के दलों ने भारत में घुसने की कोशिश की। हालांकि सबसे अधिक बार एलओसी पर प्रयास किया गया और रोचक तथ्य इन आंकड़ों का यह था कि एलओसी पर होने वाले करीब 18 प्रयासों में वे कामयाब भी रहे। हालांकि अधिकारी यह बता पाने में सक्षम नहीं हैं कि इन 18 प्रयासों में कितनी संख्या में आतंकी घुसने में कामयाब रहे हैं। पर गैर-सरकारी सूत्र कहते थे कि घुसने में कामयाब रहने वालों की संख्या अच्छी खासी है।
 
घुसपैठ के मामले में पिछले साल भी कुछ ऐसा ही हाल था। हालांकि वर्ष 2015 में सेना ने जीरो घुसपैठ का दावा किया था पर अब उसी द्वारा मुहैया करवाए गए आंकड़े कहते थे कि वर्ष 2015 में कुल 121 घुसपैठ की कोशिशें हुई थीं और उनमें से 33 में आतंकियों को कामयाबी भी मिली थी। जबकि वर्ष 2014 में भी 222 प्रयासों में से 65 में और वर्ष 2013 में 97 कोशिशों में आतंकी घुसपैठ में कामयाब हुए थे।
 
इन कामयाब प्रयासों में कितने आतंकी घुसने में कामयाब हुए थे इसके प्रति एक सेनाधिकारी का कहना था कि आंकड़ा बता पाना मुश्किल है और जो राडार या अन्य तरीकों से नजर आए थे उनकी संख्या बताना देशहित में नहीं है। इतना दावा जरूर वे करते थे कि घुसने में कामयाब हुए अधिकतर आतंकियों को बाद में एलओसी या फिर उससे आगे के जंगलों में घेर कर मार डाला गया था।
 
घुसपैठ के इन आंकड़ों के बीच अब सेनाधिकारी कहते थे कि घुसपैठ के क्रम पर रोक लगा पाना संभव नहीं है। उनके बकौल, एलओसी पर अभी भी कई नदी-नालों, खाईयों और दरियाओं पर तारबंदी नहीं है। बर्फ भी कई किमी तारंबदी को तहस नहस कर चुकी है। और ऐसे में इस बार की गर्मियां भी एलओसी पर हाट समर ही बनी रहेंगी क्योंकि पाकिस्तान अपने यहां रूके आतंकियों को अधिक से अधिक संख्या में धकेलने को उतावला है जिसके लिए वह सीजफायर को भी दांव पर लगा सकता है।

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