नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी 2.0 सरकार का पहला जंबो कैबिनेट विस्तार अब से कुछ देर में होने जा रहा है। कैबिनेट में शपथ लेने जा रहे चेहरों को लेकर स्थितियां लगभग साफ हो गई है। अब तक होने जा रहे सबसे बड़े मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में 35-40 के करीब नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है। वहीं मोदी कैबिनेट से अब तक करीब एक दर्जन पुराने चेहरों की छुट्टी हो चुकी है।
अब तक मोदी कैबिनेट का जो नया चेहरा साफ होता दिख रहा है उसमें उत्तरप्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले जातीय और क्षेत्रीय संतुलन साधने के साथ-साथ 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए सरकार में पीढ़ी परिवर्तन की रणनीति दिख रही है। कैबिनेट विस्तार को लेकर अब तस्वीर करीब- करीब पूरी तरह साफ हो चुकी है।
कैबिनेट विस्तार से पहले कैबिनेट मंत्री रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर,रमेश पोखरियाल निशंक, हर्षवर्धन, सदानंद गौड़ा,संतोष गंगवार, देबोश्री चौधरी, संजय धोत्रे, बाबुल सुप्रियो, राव साहेब दानवे पाटिल, प्रतापचंद सारंगी आदि ने इस्तीफा दे दिया है।
मोदी कैबिनेट में होने वाले इस जंबो विस्तार से उम्मीद की जा रही है कि नई कैबिनेट जनता से नए कनेक्शन वाली कैबिनेट होगी। कैबिनेट विस्तार में मुख्य रुप से ओबीसी, दलित-आदिवासी और युवाओं का प्रतिनिधित्व पहले से बढ़ाया जा रहा है।
उत्तरप्रदेश चुनाव से पहले ओबीसी वोटरों को साधने के लिए कैबिनेट में कई ओबीसी चेहरे को शामिल किया जा रहा है। वैसे देश की आबादी में ओबीसी की करीब-करीब आधी हिस्सेदारी है और इस बड़े वोट बैंक पर 2024 से पहले अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए कैबिनेट विस्तार इस वर्ग का बड़ा प्रतिनिधित्व दिखने की संभावना है। इसके साथ ही सरकार नई कैबिनेट में दलित और आदिवासी समुदाय के लिए अपनी प्रतिबद्धता को और विस्तार दे सकती है।
कैबिनेट विस्तार से युवा कैबिनेट की वर्षों पुरानी आकांक्षा को भी पूरी करने जा रही है। देश की 65 प्रतिशत आबादी युवा है जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोकस लगातार बना रहता है। इस लिहाज से कैबिनेट विस्तार में पीढ़ियों का बदलाव देखा जा रहा है। कई नए युवा चेहरों के साथ कैबिनेट में काम कर रहे कई राज्य मंत्रियों का प्रमोशन भी होने जा रहा है।