अश्लील वेबसाइटों पर से सरकार ने हटाया प्रतिबंध

मंगलवार, 4 अगस्त 2015 (18:19 IST)
नई दिल्ली। अश्लील और हास्य सामग्री परोसने वाली 857 वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर तीखी आलोचना का सामना कर रही सरकार ने आज उन सभी वेबसाइटों पर से प्रतिबंध हटा लिया, जिन पर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री नहीं होती।
आंख मूंदकर प्रतिबंध लगाने को लेकर सोशल मीडिया एवं अन्य फोरम में भारी आलोचना का सामना करने के बीच दूरसंचार विभाग ने आज एक आदेश में कहा, ‘मध्यस्थों (आईएसपी) को निर्देश दिया जाता है कि वे 857 यूआरएल (वेबसाइटों) में किसी को भी निष्क्रिय नहीं करने के लिए स्वतंत्र है बशर्ते उनमें बच्चों से जुड़ी पोर्नोग्राफिक सामग्री न हो।’ 
 
उच्च सूत्रों ने कहा, ‘सरकार एक अंतरिम उपाय के तौर पर इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आईएसपी) को बच्चों से जुड़ी पोर्नोग्राफी सामग्री परोसने वाली वेबसाइट को बंद करने का निर्देश दे रही है। अदालत में सुनवाई के बाद अन्य चीजों पर विचार किया जाएगा।’ 
 
उल्लेखनीय है कि दूरसंचार विभाग ने 31 जुलाई को अपने आदेश में नैतिकता का हवाला देते हुए इंटरनेट सेवा प्रदाताओं से 857 वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने को कहा था। इसमें हास्य सामग्री साइट परोसने वाली 9जीएजी तथा कॉलेज ह्यूमर के साथ प्लेब्वाय जैसी वेबसाइट शामिल थी।
 
सरकार के निर्देश के बाद से सोशल मीडिया तथा अन्य मंचों पर बहस छिड़ गई और सरकार पर इंटरनेट सेंसरशिप का आरोप लगाया गया। इसके बाद दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने आज उच्च स्तरीय बैठक की।
 
उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में आईटी सचिव आर एस शर्मा तथा अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल पिंकी आनंद समेत अन्य अधिकारी शामिल हुए। बैठक के बाद प्रसाद ने कहा कि बैठक में यह निर्णय किया गया है कि आईएसपी से तत्काल उन वेबसाइसाइटों पर प्रतिबंध नहीं लगाने को कहा जाएगा, जो बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री नहीं परोसतीं।
 
पूर्व के निर्देश के पीछे कारणों के बारे में बताते हुए प्रसाद ने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय के आदेश के मद्देनजर तत्काल कदम उठाए गए। अपने आदेश में शीर्ष अदालत ने उन कथित अश्लील सामग्री परोसने वाली वेबसाइटों की सूची पर कार्रवाई करने को कहा था, जिसे याचिकाकर्ता ने उपलब्ध कराया था।’ 
 
उन्होंने कहा कि सरकार इंटरनेट पर अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर प्रतिबद्ध है। मंत्री ने कहा, ‘सरकार सोशल मीडिया पर विचारों के प्रसार की सराहना करती है। हमने माईगाव प्लेटफार्म शुरू किया है, जिसमें विकास एजेंडे के बारे में लोगों से राय मांगी गई है और लाखों लोग इसमें भाग ले रहे हैं।’ 
 
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि प्रतिबंध तब तक के लिए अस्थायी उपाय है जब तक शीर्ष अदालत मामले में अंतिम आदेश नहीं दे देती। सरकार के कदम को लेकर लोगों की तीखी प्रतिक्रिया के बारे में प्रसाद ने कल कहा था कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार सोशल मीडिया तथा इंटरनेट की आजादी को लेकर प्रतिबद्ध है। (भाषा) 

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