आईओटी को आमतौर पर इंटरनेट से आपस में जुड़े इलेक्ट्रानिक उपकरणों का नेटवर्क होता है। मसलन आईओटी के इस्तेमाल से स्ट्रीट लाइट खुद बंद हो जाएंगी यदि उन्हें लगेगा कि सड़क पर कोई गाड़ी नहीं है। इससे बिजली की बचत होगी। इसका एक-एक एप्लीकेशन स्मार्ट बैंड हो सकता है जो डॉक्टर को शरीर के किसी महत्वपूर्ण अंग की असामान्य स्थिति में की जानकारी दे सकता है।
आईओटी नीति के दस्तावेज के मसौदे में कहा गया है, अन्य चीजों के अलावा आईओटी के जरिए दूर स्थित उपकरणों के जरिए कृषि, स्वास्थ्य, ऊर्जा, सुरक्षा, आपदा प्रबंधन जैसे विभिन्न उद्योगों की समस्याओं के समाधान में मदद मिल सकती है। इसके साथ ही किसी यंत्र या उपकरण के मामले में सतर्कता या किसी अन्य कार्य के लिए मानक स्थापित करने में मानव भूमिका कम होगी।
आईओटी को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने संसाधन और परीक्षण केंद्र स्थापित करने के लिए वित्त पोषण की योजना तैयार की है। सरकार 35 करोड़ रुपए की लागत से सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग संगठन नास्काम और अन्य औद्योगिक सहयोगियों के साथ मिलकर इन्क्यूबेशन केंद्र स्थापित करेगी जिसे नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का नाम देने का प्रस्ताव है।
एक इंटरनेशनल आईओटी रिसर्च कोलैबोरेशन स्कीम (आईआईआरसी) का भी प्रस्ताव है जिसके तहत सरकार अन्य देशों के साथ सहयोग और समझौते करेगी ताकि 50 प्रतिशत योगदान के आधार पर आईओटी में अनुसंधान एवं विकास के लिए संयुक्त परियोजनाएं विकसित की जा सकें। आईओटी में एमटेक एवं बीटेक और अनुसंधान कार्य एवं पीएचडी स्तर के पाठ्यक्रम पेश किए जाएंगे। (भाषा)