पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने उन दो महिलाओं से ब्योरा जानना चाहा जिनके पिता ने ईशा फाउंडेशन में अवैध रूप से बंधक बनाए जाने का आरोप लगाते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। पीठ के न्यायाधीश मामले के तथ्यों के बारे में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए दोनों महिलाओं से निजी तौर पर बातचीत करने के लिए अपने कक्ष में गए।
हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को डॉ. एस कामराज द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें उन्होंने पुलिस को निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वह उनकी दो बेटियों को अदालत के समक्ष पेश करे, जिनके बारे में उनका आरोप है कि उन्हें ईशा फाउंडेशन के अंदर बंदी बनाकर रखा गया है और उन्हें रिहा किया जाए।