मोदी की स्पेस डिप्लोमेसी, पड़ोसी देशों को भारत का सबसे बड़ा तोहफा

शुक्रवार, 5 मई 2017 (08:26 IST)
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो शुक्रवार शाम 4:57 बजे दक्षिण एशिया संचार उपग्रह जीसैट-9 को लांच करेगा। इसको श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच किया जाएगा। आज लांच होने वाले दक्षिण एशिया उपग्रह या जीसैट-9 के लिए 28 घंटों की उलटी गिनती गुरुवार को शुरू कर दी। इसरो के अनुसार, यह उलटी गिनती अपराह्न 12.57 बजे शुरू की गई। इस सैटेलाइट यानी उपग्रह के प्रक्षेपण से दक्षिण एशियाई देशों के बीच संपर्क को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही दक्षिण एशिया क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम किया जा सकेगा।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते रविवार को कहा था कि दक्षिण एशिया उपग्रह क्षेत्र की आर्थिक और विकास की प्राथमिकताओं के लिए अहम भूमिका निभाएगा। अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात में उन्होंने कहा था, "इस उपग्रह की क्षमता और सुविधाएं दक्षिण एशिया के आर्थिक और विकासात्मक प्राथमिकताओं से निपटने में काफी मददगार साबित होंगी।" उन्होंने कहा था, "प्राकृतिक संसाधनों का पता लगाने, टेलीमेडिसीन, शिक्षा के क्षेत्र में लोगों के बीच संचार बढ़ाने में यह उपग्रह पूरे क्षेत्र की प्रगति में एक वरदान साबित होगा।"
 
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने जीसैट-9 को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हिकल (जीएसएलवी-एमके द्वितीय) के जरिए आंध्रप्रदेश के श्री हरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लांच पैड से प्रक्षेपित किए जाने की उम्मीद है। इसरो ने कहा कि जीसैट-9 की शुरुआत दक्षिण एशियाई देशों के कवरेज के साथ कू-बैंड में विभिन्न संचार अनुप्रयोगों को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की जा रही है।
 
इसरो ने कहा है कि जीसैट-9 मानक प्रथम-2के के तहत बनाया गया है। उपग्रह की मुख्य संरचना घनाकार है, जो एक केंद्रीय सिलेंडर के चारों तरफ निर्मित है। इसकी मिशन अवधि 12 साल से ज्यादा है। एक अधिकारी के अनुसार, इसरो ने प्रायोगिक आधार पर उपग्रह को इलेक्ट्रिक पॉवर देने का फैसला किया है।
 
आठ सार्क देशों में से सात देश इस योजना का हिस्सा हैं। वहीं पाकिस्तान ने यह कहते हुए इस योजना से बाहर रहने का फैसला किया कि उसके पास अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम है। जीसैट-9 भारत की तरफ से पड़ोसी दक्षिण एशियाई देशों के लिए एक तोहफे की तरह है। वहीं पाकिस्तान के इस योजना से बाहर रहने के कारण उसे इस प्रक्षेपण से कोई फायदा नहीं मिलेगा। इस उपग्रह को अंतरिक्ष एजेंसी स्वेदशी क्रायोजेनिक अपर स्टेज के साथ अपने रॉकेट जीएसएलवी-एफ 09 से प्रक्षेपित करेगी। 235 करोड़ के इस मिशन का समयकाल 12 वर्ष का है।
 
इस उपग्रह का उद्देश्य दक्षिण एशियाई क्षेत्र के देशों के बीच सूचनाएं उपलब्ध कराना और आपदा प्रबंधन को मजबूत करना है। साथ ही इस उपग्रह से प्रत्येक देश को डीटीएच, वीसैट क्षमता और आपदा सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा। इसरो के अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने कहा कि उपग्रह का परीक्षण शाम के 4:57 बजे किया जाएगा। (एजेंसी)

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