अहमदाबाद। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उपमुख्यमंत्री नितिनभाई पटेल ने अहमदाबाद शहर में शुक्रवार को आषाढ़ी दूज के मौके पर कड़ी सुरक्षा के बीच जमालपुर स्थित ऐतिहासिक जगन्नाथ मंदिर की 141वीं वार्षिक रथयात्रा की शुरुआत की।
दोनों नेताओं ने आज सुबह एक साथ दो सोने के झाडूओं से मार्ग साफ करने की "पहिंद" विधि कर रथ को खींच कर भगवान की इस रथयात्रा की शुरुआत की।
इससे पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मंदिर में सुबह मंगला आरती में भाग लिया जहां मुख्य पुजारी महंत दिलीप दास ने उनको सम्मानित किया। तीनों प्रतिमाओं की आंखों पर बंधी पट्टी को खोल दिया गया।
भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा के तीन रथों की अगुवाई करीब 18 सजे हुए गजराज यात्रा में सबसे आगे हैं। उसके बाद 101 प्रकार की झांकियां, इस दौरान कसरत के प्रयोग दिखाते हुए 30 अखांड़े, 18 भजन मंडली, तीन बैंडबाजे भी भगवान के रथ के साथ करीब 2500 से अधिक साधु-संत हरिद्वार, अयोध्या, नासिक, उज्जैन, जगन्नाथपुरी और सौराष्ट्र से इस रथयात्रा में आए हैं।
रथयात्रा के जुलूस की लंबाई करीब एक किलोमीटर है। रथयात्रा भगवान के ननिहाल मौसा के घर सरसपुर जाएगी तथा देर शाम तक वापस निज मंदिर लौटेगी। यात्रा मार्ग की आने जाने की कुल लंबाई करीब 18 किमी है। इसे देखने के लिए लाखों श्रद्धालु सड़कों पर उमड़ पड़े हैं।
पीएम मोदी ने भेजा भोग : वहीं सालाना जगन्नाथ यात्रा की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान जगन्नाथ मंदिर में पारंपरिक नैवेद्य सामग्री भेजी है। प्रधानमंत्री पिछले कई वर्षों से मंदिर को रथ यात्रा से पहले नैवेद्य सामग्री भेजते रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को देशवासियों को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की हार्दिक बधाई दी। ट्विटर पर अपने संदेश में उन्होंने लिखा, 'भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद से हमारा देश विकास के ऊंचाइयों को छुए। सभी भारतीय खुशहाल और समृद्ध हो।'
इस बीच जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने श्रद्धालुओं को आगाह किया कि भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के दौरान वे रथ पर नहीं चढ़ें और तीनों प्रतिमाओं को नहीं छूएं। यदि कोई रथ पर चढ़ता है और भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की प्रतिमाओं को छूता है, तो इसे एक अपराध माना जाएगा।
उल्लेखनीय है कि ओडिशा के पूरी और गुजरात के अहमदाबाद में हर साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती है। इसके साथ ही पश्चिम बंगाल तथा अन्य पूर्वी राज्यों में भी यह महोत्सव मनाया जाता है।