शंघाई सहयोग संगठन की बैठक से पहले जयशंकर की अफगानिस्तान के विदेश मंत्री से मुलाकात

मंगलवार, 13 जुलाई 2021 (23:09 IST)
नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को अफगानिस्तान के अपने समकक्ष मोहम्मद हनीफ अतमार से ताजिकिस्तान की राजधानी दुशान्बे में मुलाकात की और इस दौरान अफगानिस्तान में हालिया घटनाक्रम पर चर्चा की। जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की परिषद और अफगानिस्तान पर एससीओ संपर्क समूह की बैठकों में भाग लेने के लिए मंगलवार को 2 दिवसीय दौरे पर दुशान्बे पहुंचे। बैठक के दौरान अमेरिकी बलों के अफगान से वापस जाने के कारण तेजी से बिगड़ते सुरक्षा हालात पर चर्चा की जाएगी।

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जयशंकर ने ट्वीट किया कि मेरे दुशान्बे दौरे की शुरुआत अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अतमार से मुलाकात के साथ हुई। हालिया घटनाक्रम को लेकर उनकी अद्यतन जानकारी को सराहा। अफगानिस्तान पर एससीओ संपर्क समूह की कल होने वाली बैठक को लेकर उत्साहित हूं।
 
गौरतलब है कि यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह ऐसे समय में हो रही है, जब तालिबानी लड़ाके अफगानिस्तान के अधिकतर इलाकों को तेजी से अपने नियंत्रण में ले रहे हैं जिसने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। भारत ने अफगान बलों और तालिबान लड़ाकों के बीच भीषण लड़ाई के मद्देनजर कंधार स्थित अपने वाणिज्य दूतावास से लगभग 50 राजनयिकों एवं सुरक्षा कर्मियों को एक सैन्य विमान के जरिए निकाला है।

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सरकार द्वारा हालात पर बारीकी से नजर रखे जाने का जिक्र करते हुए भारतीय अधिकारियों ने कहा कि अफगानिस्तान के कंधार और मजार-ए-शरीफ स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास का संचालन जारी है। इससे पहले दिन में भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद मामुन्दजई ने कहा कि कंधार स्थित भारतीय महावाणिज्य दूतावास बंद नहीं हुआ है और स्थानीय कर्मचारियों द्वारा संचालित किया जा रहा है।
 
उन्होंने कहा कि राजनयिकों को वापस भारत लाने का अस्थाई कदम सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है। शांतिपूर्ण, संप्रभु एवं स्थिर अफगानिस्तान को लेकर भारत की लंबे समय से सशक्त प्रतिबद्धता रही है। चीन और फ्रांस समेत कई अन्य देशों ने भी सुरक्षा कारणों के चलते अपने नागरिकों को अफगानिस्तान छोड़ने को कहा है। अफगानिस्तान में पिछले कुछ सप्ताह में कई आतंकी हमले हुए हैं। अमेरिकी बलों की अगस्त के अंत तक वापसी के चलते हमलों में तेजी देखी गई है, जो कि करीब 2 दशक से इस युद्ध प्रभावित देश में तैनात थे।(भाषा)

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