भाजपा '370' और पीडीपी 'आफस्पा' पर पड़ी नरम

रविवार, 1 मार्च 2015 (23:43 IST)
जम्मू। पीडीपी विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (आफस्पा) पर नरम पड़ती नजर आ रही है, जबकि भाजपा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 पर अपने रुख से पूरी तरह से पलट गई है। साथ ही दोनों पार्टियों ने गठजोड़ के लिए एक साझा एजेंडा का खाका खींचते हुए पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों के पुनर्वास के मुद्दे को खुला रखा है।
मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने ‘एजेंडा फॉर अलायंस’ जारी किया और उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने राजनीतिक और विकासात्मक मुद्दों सहित कई चीजों के बारे में बात की है।
 
अनुच्छेद 370 राज्य को विशेष दर्जा देता है। भाजपा इसे खत्म करने की मांग कर रही थी, पर अब यथास्थिति पर राजी हो गई है। सिंह ने कहा कि राजनीतिक एवं विधाई वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए संविधान में मौजूद विशेष दर्जा सहित जम्मू-कश्मीर से जुड़े सभी संवैधानिक प्रावधानों पर मौजूदा स्थिति कायम रखी जाएगी।
 
‘एजेंडा फॉर अलायंस’ में कहा गया है कि राज्य में स्थिति बेहतर हुई है और इसे स्थाई रखने में व्यापक स्तर पर लोगों में विश्वास कायम रखने के लिए राज्य की जनता को शांति एवं सामान्य स्थिति के लाभांश को प्राप्त करने में अवश्य ही सक्षम होना होगा। इसे पिछली सरकार की सराहना के तौर पर देखा जा सकता है।
 
इस परिदृश्य में राज्य में गठबंधन सरकार गहनता से सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करेगी, जिसका उद्देश्य हालात बेहतर करने के मद्देनजर सभी विशेष कानूनों की आवश्यकता की पड़ताल करना होगा।
 
गौरतलब है कि पीडीपी ने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि यदि यह पार्टी सत्ता में आती है तो राज्य से 'आफस्पा' को हटा दिया जाएगा। वहीं दूसरी ओर भाजपा ने 'आफस्पा' को हटाए जाने का विरोध किया था। 
 
यह पूछे जाने पर कि क्या वह 'आफस्पा' पर अख्तियार किए गए रुख से नाराज है, सईद ने कहा, आप क्या चाहते हैं, शांति या 'आफस्पा'? उन्होंने कहा, मैं जानता हूं कि यह कैसे सुनिश्चित करना है कि सेना जवाबदेह बने। मुख्यमंत्री होने के नाते मैं एकीकृत कमान का अध्यक्ष भी हूं। 'आफस्पा' सशस्त्र बलों के कर्मियों को अभियोजन और अन्य कानूनी कार्यवाही से छूट प्रदान करता है।
 
पश्चिमी पाकिस्तान के 25000 से अधिक परिवार, जिन्हें भाजपा ने राज्य की नागरिकता देने का वादा किया है, उस बारे में एजेंडा ऑन अलायंस का कहना है कि यह पाक अधिकृत कश्मीर के 1947, 1965 और 1971 के शरणार्थियों के लिए एकमुश्त समाधान पर काम करेगा। (भाषा)  

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