श्रीनगर। सेना ने कश्मीर से आतंकियों के सफाए की खातिर ऑपरेशन आल आउट-2 की शुरुआत 13 आतंकियों की मौत के साथ करके यह संकेत दिए हैं कि वह जल्द से जल्द आतंकियों के गढ़ बन चुके दक्षिणी और उत्तरी कश्मीर से आतंकियों का सफाया कर देना चाहती है पर उसके अभियानों का दूसरा पहलू यह है कि यह ऐसे समय पर आरंभ हुए हैं जबकि कश्मीर में टूरिस्टों की आमद तेजी पकड़ रही है। ऐसी मुठभेड़ों को बाधित करने सड़कों पर उतरने वाले पत्थरबाज टूरिस्टों को भी निशाना बना रहे हैं।
पुलिस ने माना है कि एक अप्रैल को दो टूरिस्ट पत्थरबाजी में घायल हो गए। खबरें तो और भी अधिक घटनाओं की मिली हैं पर पुलिस उससे इंकार करती है। चिंता या चर्चा का विषय यह नहीं है कि पुलिस ऐसी घटनाओं से इंकार क्यों कर रही है बल्कि चिंता कश्मीर में लौटते टूरिस्टों के कदमों के रुक जाने की आशंका से है। वर्ष 2016 में सेना ने जब कश्मीर के आतंकवाद के पोस्टर बॉय बन चुके आतंकी बुरहान वानी को मार गिराया था तो उसकी मौत के बाद से सुलग रही कश्मीर वादी में हालात अभी तक पटरी पर नहीं हौटे हैं।
यह बात अलग है कि बुरहान वानी की मौत के एक साल बाद तक कश्मीर से दूरी बनाए रखने वाले पर्यटकों ने अब कश्मीर की ओर रुख किया ही था कि सेना ने ऑपरेशन आल आउट-2 को आरंभ कर पहले ही धमाके में 13 आतंकियों को ढेर कर दिया। कश्मीर में पहले भी इससे ज्यादा संख्या में आतंकी मारे जाते रहे हैं। पर वे अधिकतर विदेशी ही होते थे और वे एलओसी क्रास करते हुए मार गिराए जाते थे। यह पहली बार था कि इतनी संख्या में आतंकी बने स्थानीय युवकों को कश्मीर के भीतर ही मार गिराया गया हो। इसने कश्मीर के हालात को नए मोड़ पर ला खड़ा किया है, इससे कोई इंकार नहीं करता है।
इन मौतों के बाद धधक रही कश्मीर वादी में हुर्रियती नेताओं को भी अपनी दुकानें फिर से खोलने का मौका मिल गया है। राजनीतिज्ञों ने भी अपनी दुकानदारी फिर से चालू कर दी है। और अगर कोई इन सबके बीच पिसने को मजबूर है तो वह आम कश्मीरी है जिसके सामने एक बार फिर रोजी रोटी का सवाल इसलिए खड़ा हो गया है क्योंकि आज भी अधिकतर कश्मीरी पर्यटन व्यवसाय से ही रोजी रोटी कमाते हैं और टूरिज्म पर भयानक साया मंडराने लगा है। हालांकि कश्मीर के ताजा हालात के चलते कहीं से कोई बुकिंग रद्द होने की कोई खबर नहीं है पर टूरिस्टों पर हुए पत्थरबाजों के हमलों के बाद होटल मालिकों को डर है कि ऐसी घटनाएं एक बार फिर पर्यटकों के कदमों को रोक सकती हैं।
माना कि पुलिस ऐसी घटनाओं को लो प्रोफाइल पर रखी है पर कोई इसके प्रति आश्वासन देने को राजी नहीं है कि टूरिस्ट पत्थरबाजों के निशाने नहीं बनेंगे। स्पष्ट शब्दों में कहें तो कश्मीर का टूरिज्म फिर से ढलान पर जाने लगा है। अभी तक मौत की घाटी के तौर पर जानी जाने वाली कश्मीर वादी पर्यटकों के लिए तरस रही थी। बुरहान वानी की मौत के बाद रोजी रोटी को तरसने वाले कश्मीरियों की किस्मत में शायद यही लिखा है कि जब भी हालात अनुकूल होने लगते हैं कोई ऐसा धमाका जरूर हो जाता है जो उनके पेट पर लात मार देता है।