देश की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी JNU रविवार शाम जंग के मैदान में बदल गई। लाठी-डंडों से लैस नकाबपोश गुंडों ने घंटों पूरे जेएनयू परिसर में आतंक फैलाया और चुन-चुनकर छात्र और शिक्षकों पर हमला किया। नकाबपोश गुंडों ने लड़कियों के हॉस्टल में घुसकर उनको बुरी तरह पीटा। हमले में जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष समेत करीब 20 से अधिक स्टूडेंट और 2 प्रोफेसर बुरी तरह घायल हो गए।
जेएनयू में खुलेआम हुई इस गुंडागर्दी को लेकर कौन जिम्मेदार है इसको लेकर सियासत भी गर्म हो गई है। NSUI, आइसा, और ABVP ने एक दूसरे पर गुंडागर्दी करने और मारपीट करने का आरोप लगाया है। हिंसा में बुरी तरह घायल हुई जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने हमले के पीछे ABVP और बाहरी लोगों को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं दूसरी ओर ABVP ने लेफ्ट से जुड़े लोगों पर हिंसा फैलाने और मारपीट करने का आरोप लगाया है।
इस बीच पूरे विवाद को लेकर कुछ वाट्सअप समूह की चैट वायरल हो रही है जिसमें पूरी घटना के पीछे एक बड़ी साजिश होने की बात सामने आ रही है। यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट नाम से वायरल हो रही वॉट्सएप ग्रुप की चैट में जेएनयू हमले के पीछे बड़ी साजिश रचे जाने की बात समाने आ रही है। वायरल हो रही ही वाट्सग्रुप की चैट में ठीक जेएनयू में मचे कोहराम के समय ग्रुप के सदस्यों के बीच आपस में बातचीत और किसी तरह पूरे हमले को करना है इसका ज्रिक है। जिसमें पुलिस के कैंपस में आने से लेकर हॉस्टल में घुसकर मारपीट तक की जानकारी दी जा रही है।
इसके साथ ही जेएनयू के गेट पर छात्रों के इक्ट्ठा होने और वहां कुछ बड़ा करने के मैसेज भी वाट्सअप समूह में दिए जा रहे थे । इसके साथ ही फैंड्स ऑफ आरएसएस नाम के एक अन्य ग्रुप में हमले के समय दिशा निर्देश देने और पूरा प्लान साझा करने की चैट वायरल हो रही है इस ग्रुप में जेएनयू में एंट्री से लेकर हमले में शामिल लोगों की लोकेशन को लेकर निर्देश दिए जा रहे है।
जेएनयू में हिंसा के बाद सबसे पहले पहुंचने वाले स्वराज अभियान के प्रमुख योगेंद्र यादव ने हमले के पीछे ABVP से जुड़े लोगों पर हमला करने का आरोप लगाते हुए दिल्ली पुलिस पर गंभीर आरोप लगाया। इस बीच जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष ने दावा किया कि एबीवीपी के पथराव में उनकी अध्यक्ष आइशी घोष समेत करीब 20 छात्र गंभीर रुप से घायल हो गए है। वहीं दूसरी और जेएनयू में ABVP के अध्यक्ष दुर्गेश कुमार ने आरोप लगाया कि लेफ्ट से जुड़े लोगों ने उन पर हमले किए और इसमें कई छात्र घायल हो गए।
देश की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी माने जाने वाली जेएनयू में सरेआम नकाबपोश गुंडों का घंटों तक हिंसा फैलाना और लड़कियों के हॉस्टल में घुसकर उनकी बेरहमी से पिटाई करना कई बड़े सवालों को खड़ा कर रही है। पिछले काफी लंबे समय से विवादों में रहने वाली यूनिवर्सिटी में बाहरी नकाबपोश लोगों की हथियारों के साथ एंट्री करना पूरे हमले के पीछे एक सुनियोजित साजिश के संकेत दे रहा है। जेएनयू के सभी एंट्री गेटों पर कड़ी सुरक्षा रहती और कोई भी बाहरी व्यक्ति कैंपस में दाखिल नहीं हो सकता है। ऐसे में कैसे इतनी बड़ी संख्या में हथियारों से लैस गुंडे अंदर दाखिल हो गए ये भी हमले के पीछे एक बड़ी साजिश का इशारा कर रहा है।
रविवार शाम जब जेएनयू कैंपस में घंटों हिंसा का दौर चला तब जेएनयू प्रशासन का समय रहते दखल न देना और पुलिस का बाहर गेट पर घंटों इंतजार करना भी सवालों के घेरे में आ गया है। यूनिवर्सिटी कैंपस में बड़े पैमाने पर तैनात सुरक्षा कर्मियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में आती है। सुरक्षाकर्मियों ने नकाबपोश गुंड़ों को रोकने या पकड़ने की कोशिश क्यों नहीं की यह सवालों के घेरे में है।
जेएनयू में हिंसा को लेकर यूनिवर्सिटी के शिक्षकों ने प्रशासन पर हमलावरों से मिलगी भगत के आरोप लगाए है। यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों ने मीडिया से बातचीत में बाहर लोगों पर यूनिवर्सिटी कैंपस में घुसकर छात्रों और शिक्षकों से मारपीट का आरोप लगाया। जेएनयू शिक्षक संघ ने एक बयान जारी कर कैंपस में हुई हिंसा की निंदा करते हुए जेएनयू प्रशासन पर मिलीभगत और पुलिस के मूकदर्शक बने रहने का आरोप लगाया है।