कैलाश मानसरोवर यात्रा से हरीश रावत नाराज

गुरुवार, 18 सितम्बर 2014 (23:46 IST)
-ललित भट्‌ट

देहरादून। उत्तराखण्ड के मुख्‍यमंत्री हरीश रावत ने मोदी सरकार द्वारा चीन के साथ कैलाश मानसरोवर के एक मार्ग को सिक्किम से खोलने के सम्बन्ध में किए गए एक एमओयू का विरोध किया है। आज मुख्‍यमंत्रीत्री ने कहा कि इस नए मार्ग को खोलने से राज्य की परम्परागत इस यात्रा को झटका लगेगा।
उनका कहना था कि प्रधानमंत्री द्वारा ब्रिक्स सम्मेलन में जब यह आग्रह चीन से किया था तब भी उन्होंने इस पर ऐतराज जताया था लेकिन आज इसके बावत एमओयू हस्ताक्षरित होने से उत्तराखण्ड जो कि धार्मिक यात्राओं देवस्थलों का प्रदेश है को इससे एक झटका लगा है। 
 
हरीश  रावत ने प्रधानमंत्री से पिछले दिनों दिल्ली जाकर भी इस कैलाश  मानसरोवर यात्रा मार्ग को सुविधाजनक बनाने के लिए 100 करोड़ रूपए की मांग की थी। इस प्राचीन यात्रा मार्ग को तिब्बत स्थित कैलाश  मानसरोवर के लिए सर्वाधिक सुगम्य मार्ग माना जाता है। पिथौरागढ़ जिले की दो घाटियां जौहार एवं दारमा के लोगों की जीविका इस यात्रा मार्ग से होने वाली मानसरोवर यात्रा पर ही निर्भर करती है।
 
मानसरोवर यात्रा इस क्षेत्र में वर्ष 1982 से पुनः शुरू की गई। 1962 में भारत चीन युद्ध के बाद से बंद करने के बाद फिर से खोला गया था। इस यात्रा मार्ग पर परम्परागत रूप से इस सीमान्त क्षेत्र के लोगों की जीविका निर्भर करती है। भारत चीन युद्ध से पूर्व भी इस मार्ग से ही यात्रा होती रही थी।
 
चीन सीमा पर स्थित कैलाश मानसरोवर यात्रा का संचालन भारतीय क्षेत्र में कुमाऊ मंडल विकास निगम करता है, यह निगम के लिए भी एक लाभजनक गतिवविधि है। केन्द्र सरकार की तरफ से अब वैकल्पिक मार्ग को सिक्किम से भी खोलने की पहल से इस क्षेत्र में भारी चिंता है। 
 
मुख्‍यमंत्री ने चीन के साथ हुए इस समझौते को राजनीतिक कारणों से किया समझौता करार देकर इस पर अपनी आपत्ति व्यक्त कर दी है। आगामी दिनों में यह मामला प्रदेश  में एक राजनीतिक मुद्‌दा बन सकता है, जिसको लेकर प्रदेश  कांग्रेस प्रतिपक्षी भाजपा को घेर सकती है।
 
देश  के प्रधानमंत्री मोदी एवं चीन के राष्‍ट्रपति जिनपिंग के बीच सिक्किम के नाथुला दर्रे से कैलाश  मानसरोवर मार्ग खोलने पर पैदा यह विवाद आगे किस हद तक बढ़ेगा यह देखने की बात है।

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