...तो कश्मीर में रोक देंगे आतंक विरोधी ऑपरेशन, सेना सख्त

सुरेश एस डुग्गर

सोमवार, 2 मई 2016 (12:39 IST)
आतंकियों के विरुद्ध चलाए जाने वाले ऑपरेशनों के दौरान पत्थरबाजों द्वारा जवानों पर पत्थरबाजी कर आतंकियों को भागने में सहायता करने की स्थानीय लोगों की रणनीति से परेशान सेना ने अब राज्य सरकार से कहा है कि अगर वह इन पत्थरबाजों की लगाम नहीं कसती है तो वे मजबूरन इन अभियानों में शिरकत नहीं करेंगे।
अधिकारियों के अनुसार सेना राज्य सरकार को यह चेतावनी देने को इसलिए मजबूर हुई है क्योंकि रक्षा सूत्रों के अनुसार, पिछले 4 महीनों में 30 से अधिक आतंकी इन पत्थरबाजों की ‘मेहरबानी’ के कारण अभियानों के दौरान बच निकलने में कामयाब रहे।
 
ताजा घटना में तो 28 अप्रैल के दिन कुपवाड़ा और अनंतनाग में दो आतंकवाद विरोधी ऑपरेशनों के दौरान सेना को कई दिक्कतों का उस समय सामना करना पड़ा जब पत्थरबाजों ने उनके उन जवानों पर पथराव आरंभ कर दिया था, जिन्होंने 6 से अधिक आतंकियों को अपने घेरे में ले रखा था और वे उन्हें लगभग ढेर ही कर चुके थे। ‘पर पत्थरबाजों पर सयंम बरतने के कारण हम अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाए,’ एक सेनाधिकारी का कहना था, जो इस अभियान में शामिल थे।
 
हालांकि नागरिक प्रशासन और पुलिस को इन पत्थरबाजी की घटनाओं के बारे में सूचित कर दिया गया था पर वे भी पत्थरबाजों को नकेल नहीं कस सके। नतीजा सामने था। चार महीनों में 30 से अधिक खूंखार आतंकी सेना के हाथों से निकल भागे। अगर सूत्रों की मानें तो इनमें हिज्बुल मुजाहिदीन का वह पोस्टर बॉय आतंकी नेता बुरहान वानी भी शामिल है, जिसके सहारे अब पाकिस्तान कश्मीरी नौजवानों को भर्ती करने में कायामब हो रहा है।
सेनाधिकारियों के मुताबिक, आतंकियों को इस प्रकार का समर्थन प्राप्त होने के कारण उनका मनोबल बढ़ रहा है। साथ ही विश्व में कश्मीर की स्थिति के प्रति यह संकेत जा रहा है कि कश्मीर में हालात नार्मल नहीं हैं और जनसमर्थन आतंकियों के साथ है।
 
इन पत्थरबाजों को लेकर सेना की वरिष्ठ कमांडरों ने इस साल फरवरी महीने में राज्य सरकार के साथ हुई बैठक में जो चिंता जाहिर की थी उस पर कोई असर न होता देख सेना के जीओसी नार्दन कमांड ने अब सरकार के साथ इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने के संकेत दिए हैं।
 
दरअसल, रक्षा सूत्र कहते हैं कि अगर सेना आतंकियों के खिलाफ चलाए जाने वाले अभियानों में पत्थरबाजों के मोर्चे से भी निपटने लगे तो उसके पास ऐसी भीड़ पर सिवाय गोली चलाने के कोई और तरीका नहीं है। ‘ऐसा करने से जानी नुक्सान होगा जो कश्मीर के लिए अच्छा नहीं है,’ एक अधिकारी का कहना था।
 
ऐसे में सेना चाहती है कि इस मुद्दे से नागरिक और पुलिस प्रशासन ही अपने बल पर निपटे,  लेकिन वे इसके प्रति आश्वस्त होना चाहते हैं कि आतंकवाद विरोधी ऑपरेशनों के दौरान पत्थरबाजों के साथ सख्ती से निपटा जाए ताकि अभियानों पर कोई प्रभाव न पड़े और अगर ऐसा नहीं होता है तो सेना इन अभियानों से पीछे हटने के विकल्प को खुला रखेगी।

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