अदालत ने मीडिया हाउसों को निर्देश दिया है कि वह आगे से बच्ची का नाम, उसकी तस्वीर, स्कूल का नाम या उसकी पहचान जाहिर करने वाली किसी भी सूचना को प्रकाशित प्रसारित करने से बचें।
अदालत ने कहा कि खबरों ने पीड़िता की निजता का अपमान और उल्लंघन किया है जिसकी किसी भी हालात में अनुमति नहीं दी जा सकती है। पीठ ने कहा कि दंड संहिता और पॉक्सो कानून में ऐसे प्रावधान हैं, जो ऐसी सूचनाओं के प्रकाशन/प्रसारण को निषिद्ध करते हैं, जो बच्चों सहित यौन अपराध से पीड़ित व्यक्ति की प्रतिष्ठता और निजता को प्रभावित करता हो।