'मिसाइल मैन' डॉ. कलाम के साथ काम करने वाली महिला ने KBC में कहीं अनसुनी बातें

आप जिस महिला की तस्वीर देख रहे हैं, उनका नाम है राकेश शर्मा और इन्होंने भारत के 'मिसाइल मैन' कहे जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. एपीजे कलाम साहब के साथ पूरे 5 साल काम करते हुए बिताए हैं। मुंबई में राकेश लगातार 2 दिन (बुधवार-गुरुवार) को 'कौन बनेगा करोड़पति' (KBC) की हॉट सीट पर थीं और इसमें उन्होंने बॉलीवुड महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) के साथ डॉ. कलाम से जुड़ी कई ऐसी बातें शेयर कीं, जो अब तक शायद ही किसी ने सुनी हो।
 
अच्छे टीचर का महत्व : केबीसी से 25 लाख रुपए की धनराशि जीतने वाली राकेश शर्मा मिनिस्ट्री ऑफ एचआरडी में डायरेक्टर के पद से रिटायर हुई हैं, जहां उन्होंने 38 सालों तक काम किया। डॉ. कलाम 2002 से 2007 तक देश के बहुलोकप्रिय राष्ट्रपति रहे और उनकी ओएसडी थीं राकेश शर्मा। डॉ. कलाम उनसे कहते थे किसी भी बच्चे को 7 साल तक किसी अच्छे टीचर के हवाले कर दो, फिर कोई शैतान भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।
 
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कई बार रात 2 बजे तक काम किया : राकेश शर्मा ने बताया कि मैंने राष्ट्रपतिजी के साथ खूब काम किया। मुझे पौने 9 बजे राष्ट्रपति भवन पहुंचना होता था और घर आते-आते रात के 10.30 बज जाया करती थी। कई बार मैं डिनर लेती रहती थी और फोन आ जाता था कि तुरंत वापस आओ, काम बाकी है। काम करते-करते रात 2 कब बज जाया करती थी, पता ही नहीं चलता था लेकिन अगली सुबह मुझे फिर पौने 9 बजे राष्ट्रपति भवन पहुंचना होता था।
5 साल तक न मैं बीमार पड़ी न कलाम साहब : पूरे पांच साल में न तो डॉ. कलाम ने कभी छुट्‍टी ली और न मैंने। यहां तक कि शनिवार और रविवार भी हम काम ही करते रहते थे। होली, दशहरा और दिवाली का त्योहार भी राष्ट्रपति भवन में ही मनता था। कई बार परिवार के कहते भी थे कि राष्ट्रपति भवन में ही क्यों नहीं घर बना लेती? 
 
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डॉ. कलाम के कविता संग्रह का अनुवाद किया : राकेश शर्मा ने कहा कि जब कलाम साहब राष्ट्रपति बने तो उन्होंने गृह मंत्रालय से 5 अनुवादकों को भेजने का कहा। वहां के अधिकारियों को लगा कि मैं कोई लड़का हूं कि क्योंकि राकेश शर्मा तो लड़कों का नाम होता है। कलाम साहब ने 5 में से सिर्फ मुझे चुना। इस तरह मैं उनकी OSD हो गई। एक बार कलाम साहब बोले- मेरी कविताओं की किताब 'ट्री ऑफ लाइफ' को अनुवाद करना है। मुझे इस किताब का अनुवाद करने में डेढ़ से दो साल लग गए, जिसमें 49 कविताएं थीं। इसका नाम रखा गया 'जीवन वृक्ष'। केबीसी में राकेश शर्मा ने यह पुस्तक अमिताभ बच्चन को भी भेंट की।
अमिताभ बच्चन के पिता भी ओएसडी रहे : अमिताभ बच्चन ने बताया कि बाबूजी डॉ. हरिवंश राय बच्चन भी प्रोफेसर थे। वे 1952 में कैब्रिज यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट करने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्हें भी अनुवादक की नौकरी मिली थी, लेकिन सही-मान सम्मान नहीं मिलने के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ दी। इसके बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें अपना OSD बनाया और ओएसडी बनाने की शुरुआत भी बाबूजी के समय से ही हुई।
 
डॉ. कलाम से क्या सबसे अच्छी बात सीखी : केबीसी में बातचीत के दौरान अमिताभ बच्चन ने राकेश शर्मा से पूछा कि आपने डॉ. कलाम से क्या सबसे अच्छी बात सीखी? उन्होंने कहा कि उनके साथ काम करने से मेरा दृष्टिकोण ही बदल गया। यदि किसी घर में चोर आ जाए तो वह चीजें ही चुरा सकता है, सिर्फ ज्ञान ही ऐसी चीज है जिसको कोई चुरा नहीं सकता।
 
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बहुत फिक्र रहती थी डॉ. कलाम को : राकेश शर्मा ने कहा कि डॉ. कलाम बहुत साधारण तरीके से रहते थे। वे मेरा वैसा ही खयाल रखते थे, जैसा एक पिता अपनी बेटी का रखता है। मैंने खाना खाया कि नहीं और कभी रात देर हो जाए तो ड्राइवर के साथ गाड़ी भेजकर घर पहुंचाते। यह भी नसीहत देते कि घर पहुंचते ही मुझे फोन करना।
 
राकेश शर्मा ने क्यों नहीं की शादी : अमिताभ को राकेश शर्मा ने बताया कि मेरी कई सहेलियों की शादी हो गई थी और जब वे मिलती तो उन पर होने वाले अत्याचार और अन्याय की बातों से मेरा मन विचलित हो जाता था। यही कारण है कि मैंने ताउम्र शादी न करने का फैसला किया। 1976 में मेरे पिता की मृत्यु हो गई थी। हम पांच बहनें थीं और भाई कोई भी नहीं था लेकिन पिताजी ने कभी भेदभाव नहीं किया। मेरे घर में 1976 से लेकर 1982 के बीच रिश्तेदारी में 8 से 9 मौत हो गई थी। जब भी घर में फोन बजता तो डर लगने लगता था...ये 8 साल जिंदगी के सबसे दु:खदाई साल थे।
 
राष्ट्रपति ने रखा पिता जैसा ध्यान : राकेश शर्मा ने कहा कि देश के लिए भले ही डॉ. कलाम राष्ट्रपति थे, लेकिन मेरे लिए वे एक पिता जैसे थे। वो भी मेरा बेटी जैसा ध्यान रखते और हमेशा चिंता करते रहते थे। कई बार सोचती थी कि मैं कितनी भाग्यशाली हूं, जिसे इतने अच्छे पिता मिले हैं। यूं देखा जाए तो मेरे लिए राष्ट्रपति के साथ बिताए 5 साल जीवन का गोल्डन टाइम था लेकिन अब इसके साथ आपके (अमिताभ बच्चन) बिताए 2 दिन गोल्डन टाइम के रूप में दर्ज हो गए हैं। मैं इसे कभी नहीं भूल पाऊंगी... 

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