केदारनाथ यात्रियों को मोबाइल पर मिलेंगी जानकारियां

सोमवार, 6 अक्टूबर 2014 (18:52 IST)
देहरादून। उत्तराखंड में गढ़वाल हिमालय की ऊंची पहाड़ियों पर स्थित केदारनाथ धाम की यात्रा पर आने वाले तीर्थयात्रियों को अब मौसम, सड़क व यात्रा संबंधी अन्य जानकारियां उनके मोबाइल फोन पर ही मिल सकेंगी।
रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी राघव लंगर ने सोमवार को बताया कि पिछले वर्ष आई भीषण प्राकृतिक आपदा के बाद संवेदनशील स्थानों का पता लगाने और भविष्य में होने वाली ऐसी किसी भी त्रासदी का सामना करने के लिए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सभी जिलों में जीआईएस और डिजिटल मैप बनाने के निर्देश दिए थे और इसी क्रम में रुद्रप्रयाग जिले का जीआईएस और डिजिटल मैप एप्लीकेशन तैयार कर लिया गया है।
 
उन्होंने बताया कि इस एप्लीकेशन में कई जानकारियों का समावेश किया गया है, जो तीर्थयात्रियों को उनके मोबाइल फोन पर ही मिल सकेंगी।
 
लंगर ने बताया कि इसी प्रकार से केदारनाथ मंदिर के लिए श्रीकेदार रेस्कयू डेमो एंड्रायड एप्लीकेशन भी तैयार कर लिया गया है और इसका उपयोग कोई भी यात्री, पर्यटक तथा स्थानीय जनता अपने मोबाइल फोन के जरिए कर सकता है। 
 
उन्होंने कहा कि इस एप्लीकेशन की मदद से विभिन्न लैंडमार्क तथा यात्रा मार्ग के आसपास के स्थानों के संबंध में भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है तथा मंगलवार 7 अक्टूबर को रुद्रप्रयाग में इस जीआईएस और डिजिटल मैप एप्लीकेशन, श्री केदार रेस्क्यू डेमो और बल्क एसएमएस की लांचिंग की जाएगी।
 
इन एप्लीकेशनों के माध्यम से विभिन्न महत्वपूर्ण जानकारियां यात्रियों के साथ ही जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों को भी मिल सकेंगी। जीआईएस और डिजिटल मैप एप्लीकेशन में सड़कों, पैदल मार्ग, वैकल्पिक मार्ग, नदियों, सरकारी कार्यालयों, सरकारी अवस्थापना सुविधाओं एवं संसाधनों, राजस्व चौकियों की जानकारियां तथा इनके महत्वपूर्ण दूरभाष नंबर शामिल किए गए है।
 
वर्ष 2013 के जून महीने में आई भीषण प्राकृतिक आपदा में सर्वाधिक प्रभावित जिलों में रुद्रप्रयाग भी था, जहां केदारनाथ धाम तथा उसके आसपास के क्षेत्र में भयंकर तबाही हुई थी। इस आपदा में सैकड़ों लोगों की मृत्यु हुई थी और अन्य अनेक लोग लापता हो गए थे जबकि क्षेत्र के हजारों लोग बेघर हो गए थे।
 
इस आपदा से सबक लेते हुए भविष्य में ऐसी किसी त्रासदी से प्रभावी रूप से निपटने के लिए मुख्यमंत्री रावत ने सभी जिलाधिकारियों को अपने-अपने जिलों में जीआईएस और डिजिटल मैप तैयार करने के निर्देश दिए थे जिससे संवेदनशील स्थानों की जानकारी मिलने के साथ ही वहां किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने में भी मदद मिले। (भाषा)

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