नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की उस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा जिसमें केंद्र की एक अधिसूचना को संदिग्ध बताया गया है। इस अधिसूचना में दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार रोधी शाखा को आपराधिक मामलों में अपने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने से रोका गया था।
केंद्र की याचिका को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल महिंद्र सिंह द्वारा न्यायाधीश ए के सीकरी और न्यायाधीश यू यू ललित की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष लाया गया। सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट की टिप्पणियों ने पूर्ण अनिश्चितता पैदा कर दी है और राष्ट्रीय राजधानी में रोजमर्रा के प्रशासन को मुश्किल बना दिया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच के समीकरण में संतुलन बैठाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 239 ए ए की स्पष्ट व्याख्या जरूरी है।
न्यायाधीशों बी डी अहमद और संजीव सचदेवा के समक्ष दायर याचिका में कहा गया है, 'दिल्ली सरकार ने गृह मंत्रालय की 21 मई की अधिसूचना के खिलाफ जाने का फैसला किया है।' इसमें कहा गया है, 'अधिसूचना के तहत उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में सेवाओं, लोक आदेश, पुलिस और भूमि तथा नौकरशाहों की सेवाओं से जुड़े मामले होंगे' इससे उन्हें मुख्यमंत्री से राय मांगने के संबंध में विवेकाधीन शक्तियां होंगी।