30 साल में ऐसी लापरवाही नहीं देखी, पुलिस की भूमिका पर भी संदेह, कोलकाता रेप-मर्डर केस पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

गुरुवार, 22 अगस्त 2024 (22:10 IST)
Kolkata woman doctor rape murder case : उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सख्त लहजे में कहा कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला चिकित्सक से बलात्कार एवं उसकी हत्या के संबंध में अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में कोलकाता पुलिस की देरी बेहद व्यथित करने वाली है। न्यायालय ने घटनाओं के क्रम तथा प्रक्रियागत औपचारिकताओं के समय को लेकर भी सवाल उठाए।
 
न्यायालय ने इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे चिकित्सकों से काम पर लौटने की अपील भी की। न्यायालय ने कोलकाता की एक चिकित्सक की मौत के मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा कि न्याय और औषधि को रोका नहीं जा सकता। न्यायालय ने केंद्र और राज्यों को निर्देश दिया कि वे देशभर में चिकित्सकों की सुरक्षा को संस्थागत बनाने के लिए तत्काल कदम उठाएं। पीठ ने चिकित्सकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई न करने का निर्देश दिया।
 
कोलकाता पुलिस को कड़ी फटकार : उच्चतम न्यायालय ने कोलकाता पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए उसकी जांच में खामियों को उजागर किया। इस दौरान केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि स्थानीय पुलिस मामले को दबाने का प्रयास कर रही थी, क्योंकि जब तक संघीय एजेंसी ने जांच अपने हाथ में ली, तब तक अपराध स्थल का परिदृश्य बदल चुका था।
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मेहता के पश्चिम बंगाल के एक मंत्री के आपत्तिजनक बयान का हवाला देने पर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने राजनीतिक दलों से इस मामले का राजनीतिकरण नहीं करने को कहा। उसने यह भी कहा कि मामले में कानून अपना काम करेगा।
उच्चतम न्यायालय ने इस बात को लेकर हैरानी जताई कि मृत चिकित्सक का पोस्टमार्टम नौ अगस्त को शाम छह बजकर 10 मिनट से शाम सात बजकर 10 मिनट के बीच किया गया और इसके बाद मामला अप्राकृतिक मौत के रूप में दर्ज किया गया। न्यायालय ने मामले में प्राथमिकी दर्ज करने में 14 घंटे की अस्पष्ट देरी के लिए कोलकाता पुलिस की खिंचाई की।
 
पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। पीठ ने कहा, ऐसा कैसे हुआ कि पोस्टमार्टम नौ अगस्त को शाम छह बजकर 10 मिनट पर किया गया, लेकिन अप्राकृतिक मौत की सूचना ताला पुलिस थाने को नौ अगस्त को रात साढ़े 11 बजे भेजी गई। यह बेहद परेशान करने वाली बात है।
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कोलकाता पुलिस द्वारा जांच में ढिलाई की ओर इशारा करते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा, जब आप पोस्टमार्टम करना शुरू करते हैं, तो इसका मतलब है कि यह अप्राकृतिक मौत का मामला है। अप्राकृतिक मौत का मामला हालांकि पोस्टमार्टम के बाद नौ अगस्त को रात साढ़े 11 बजे दर्ज किया गया और प्राथमिकी रात पौने 12 बजे दर्ज की गई।
 
पूर्व प्राचार्य की भूमिका के बारे में पूछताछ : न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा, आपके राज्य द्वारा अपनाई गई पूरी प्रक्रिया ऐसी है, जो मैंने अपने 30 साल के (पेशेवर) जीवन में नहीं देखी। उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार से आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व प्राचार्य डॉ. संदीप घोष की भूमिका के बारे में भी पूछताछ की, जो इस जघन्य अपराध के बाद जांच के दायरे में आ गए हैं।
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पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से पूछा, प्रक्रिया एक अलग मुद्दा है, लेकिन यह बना हुआ है। क्या कारण है कि शव मिलने के लगभग 14 घंटे बाद प्राथमिकी दर्ज की गई? सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कॉलेज के प्राचार्य को सीधे कॉलेज आकर प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश देना चाहिए था। वह किसके संपर्क में थे? इसका उद्देश्य क्या था?
 
जांच अपने आप में एक चुनौती : पीठ ने कहा कि जैसे ही प्राचार्य इस्तीफा देते हैं, उन्हें दूसरे कॉलेज का प्राचार्य नियुक्त कर दिया जाता है। शुरुआत में मेहता ने कहा कि सीबीआई ने अपराध के पांचवें दिन जांच शुरू की। उन्होंने कहा, हमने पांचवें दिन जांच शुरू की। इससे पहले, स्थानीय पुलिस ने जो कुछ भी इकट्ठा किया था, वह हमें दे दिया गया। जांच अपने आप में एक चुनौती है, क्योंकि अपराध स्थल का परिदृश्य बदल दिया गया था। प्राथमिकी (पीड़िता के) अंतिम संस्कार के बाद रात पौने 12 बजे दर्ज की गई।
मेहता ने पीठ से कहा, सबसे पहले, अस्पताल के उपाधीक्षक ने पीड़िता के माता-पिता को बताया कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है। जब वे अस्पताल पहुंचे, तो उन्हें बताया गया कि उसने आत्महत्या कर ली है। वो तो मृतका के सहकर्मियों ने वीडियोग्राफी के लिए जोर दिया। इससे पता चलता है कि उन्हें मामले को छुपाने का संदेह था।
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सिब्बल ने मेहता की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि हर चीज की वीडियोग्राफी की गई थी और अपराध स्थल पर कुछ भी नहीं बदला गया था। सिब्बल ने कहा कि कोलकाता पुलिस ने पूरी ईमानदारी से प्रक्रिया का पालन किया और सीबीआई की स्थिति रिपोर्ट केवल मामले को उलझाने का प्रयास है।
 
उन्होंने कहा कि सीबीआई को अदालत को बताना चाहिए कि पिछले एक सप्ताह में उसने मामले में क्या प्रगति की है। पीठ ने चिकित्सकों की सुरक्षा, विरोध प्रदर्शन के मानदंडों और प्रदर्शनकारियों के अधिकारों को लेकर दिशानिर्देश जारी किए। न्यायालय ने इसके अलावा पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारों को लेकर भी कई दिशानिर्देश जारी किए।
 
यह कार्य एक सप्ताह में पूरा करने का आदेश : पीठ ने राष्ट्रीय कार्यबल (एनटीएफ) को चिकित्सकों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय प्रोटोकॉल तैयार करते समय सभी हितधारकों की बात सुनने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा, हम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ मिलकर स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं। साथ ही पीठ ने यह कार्य एक सप्ताह में पूरा करने का आदेश दिया।
पीठ ने देश को हिला देने वाली बलात्कार-हत्या की इस घटना के बारे में पहली प्रविष्टि दर्ज करने वाले कोलकाता पुलिस के अधिकारी को अगली सुनवाई पर पेश होकर यह बताने का निर्देश दिया कि प्रविष्टि किस समय दर्ज की गई। न्यायालय ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए पांच सितंबर की तिथि निर्धारित की।
 
चिकित्सकों के काम पर लौटने के बाद कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी : पीठ ने कहा कि कोलकाता की घटना के संबंध में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा बाधित नहीं किया जाएगा। अदालत ने हालांकि स्पष्ट किया कि उसने राज्य सरकार को वैध शक्तियों का इस्तेमाल करने से नहीं रोका है। न्यायालय ने कहा, जब हम कहते हैं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को परेशान नहीं किया जाएगा, तो इससे हमारा मतलब यह भी है कि उचित प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा।
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उसने कहा कि विरोध प्रदर्शन करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी। न्यायालय ने स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को एक पोर्टल शुरू करने का निर्देश दिया, जिसके जरिए हितधारक, चिकित्सकों की सुरक्षा के संबंध में राष्ट्रीय कार्यबल को सुझाव दे सकें।
 
न्यायालय ने घटना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे चिकित्सकों से काम पर लौटने को कहा और उन्हें आश्वासन दिया कि उनके काम पर लौटने के बाद उनके खिलाफ कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं की जाएगी। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नागपुर के रेजिडेंट चिकित्सकों के वकील ने पीठ से कहा कि चिकित्सक से बलात्कार एवं उसकी हत्या की घटना के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए चिकित्सकों को प्रताड़ित किया जा रहा है।
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सरकारी अस्पताल में चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या की घटना के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में नौ अगस्त को महिला चिकित्सक का शव मिला था। पुलिस ने इस मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले की जांच कोलकाता पुलिस से सीबीआई को सौंपने का 13 अगस्त को आदेश दिया था। सीबीआई ने 14 अगस्त से इस मामले में अपनी जांच शुरू की थी। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour

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