लालू ने AIIMS से जबरन छुट्टी को बताया साजिश...

सोमवार, 30 अप्रैल 2018 (19:35 IST)
नई दिल्ली। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को दिल्ली के एम्स से छुट्टी मिल गई है और उन्‍हें वापस रांची के रिम्‍स अस्‍पताल के लिए भेजा गया है। इसका लालू, उनके बेटे तेजस्वी और समर्थकों ने जोरदार विरोध किया है।
 
 
चारा घोटाला में सजा काट रहे आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की तबीयत बिगड़ने के बाद उनका रांची के रिम्स अस्पताल में इलाज चल रहा था, बाद में बेहतर इलाज के लिए उनको दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया  गया था। लालू ने एम्स के निदेशक को पत्र लिखकर कहा कि उन्हें अभी डिस्चार्ज नहीं किया जाए, वे पूरी तरह स्वस्थ नहीं हुए हैं। हालांकि उनकी इस अपील को नहीं माना गया और एम्स ने लालू को छुट्टी दे दी। उन्‍होंने इसे अस्‍पताल से जबरन छु्ट्टी और उनके खिलाफ साजिश बताया है।
 
 
तेजस्वी ने किया विरोध : उधर लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने अपने पिता का समर्थन किया और सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए ट्वीट कर कहा कि जब उनके पिता ने एम्‍स को खत लिखकर कहा है कि वो रांची अस्पताल वापस नहीं जाना चाहते हैं, तो उनको क्यों रांची भेजा जा रहा है? उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर पिता को वापस रांची अस्पताल भेजने के लिए एम्‍स प्रशासन पर कौन दबाव डाल रहा है।
क्या कहता है एम्स : एम्‍स प्रशासन का कहना है कि लालू भले ही स्वस्थ न होने की बात कह रहे हों, लेकिन एम्स अस्पताल का  कहना है कि उनकी तबीयत सही है। एम्स ने कहा, लालू यादव को रांची के रिम्स से यहां रेफर किया गया था। उनकी तबीयत में काफी सुधार हुआ, जिसके बाद उन्हें वापस रिम्स मेडिकल कॉलेज भेजा जा रहा है। 
लालू ने गिनाईं बीमारियां : एम्‍स से डिस्चार्ज होने से पूर्व लालू यादव ने एम्स को लिखे पत्र में कहा, मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैं  हृदय रोग, किडनी इंफेक्शन, शुगर एवं कई अन्य बीमारियों से ग्रसित हूं। कमर में दर्द है और बार-बार चक्कर आ रहा है, मैं कई बार बाथरूम में गिर भी गया हूं। मेरा रक्तचाप और शुगर भी बीच में बढ़ जाता है।
लालू ने लिखा कि रांची मेडिकल कॉलेज में समुचित इलाज की व्यवस्था नहीं है। हर नागरिक का यह संवैधानिक अधिकार है कि उसका समुचित इलाज उसकी संतुष्टि के अनुसार हो। इसलिए जब तक मैं पूरी तरह ठीक नहीं हो जाता, तब तक एम्‍स में रखकर मेरा इलाज किया जाए। लालू यादव ने यह पत्र 29 अप्रैल को लिखा था।

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