950 करोड़ रुपए के चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपए की अवैध निकासी के मुकदमे में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दिया गया है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और ध्रुव भगत को बरी कर दिया गया है। इस मामले में कुल 22 आरोपी हैं, जिनमें से 6 को बरी कर दिया गया है।
इससे पहले चाईबासा कोषागार से रुपए निकालने के मामले में लालू को जेल भेजा गया था। इस मामले में उन्हें तीन अक्टूबर 2013 को दोषी ठहराया गया था। तब भी लालू यादव को जेल जाना पड़ा था, लेकिन बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। इसके साथ ही अदालत ने उन पर चुनाव लड़ने का भी प्रतिबंध लगा दिया था।
इस मामले में 37 करोड़ रुपए रुपए का घोटाला सामने आया था। अदालत ने मामले में लालू यादव को पांच साल की जेल की सजा और 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। इसके बाद लालू यादव को रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद किया गया था, लेकिन दिसंबर 2013 में उनको कोर्ट से जमानत मिल गई थी। देवघर और चाईबासा तब अविभाजित बिहार का हिस्सा थे और लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे।
चारा घोटाले में 11 मार्च 1996 को पटना हाईकोर्ट ने सीबीआई को इस घोटाले की जांच का आदेश दिया था। साल 1996 में सीबीआई ने चाईबासा खजाना मामले में प्राथमिकी दर्ज की और 23 जून 1997 को सीबीआई ने आरोप पत्र दायर किया और लालू प्रसाद यादव को आरोपी बनाया। 30 जुलाई 1997 को लालू प्रसाद ने सीबीआई अदालत में आत्मसमर्पण किया। इसके बाद उनको न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था।