रांची। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव बार काउंसिल द्वारा अदालती कार्य से दूरी बनाने की वजह से झारखंड उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के 10 दिन बाद भी जेल से बाहर नहीं आ सकें हैं। उच्च न्यायालय ने यादव को 17 अप्रैल को दुमका कोषागार से गबन करने के मामले में जमानत दे दी थी। इसी के साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री का जेल से बाहर आने का मार्ग प्रशस्त हो गया था, क्योंकि चारा घोटाले से संबंधित अन्य मामलों में यादव को पहले ही जमानत मिल चुकी है।
झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने राज्य में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए पूरे राज्य के अधिवक्ताओं को 2 मई तक सभी प्रकार के न्यायिक कार्यों से दूर रहने का निर्देश जारी किया है जिसके चलते सीबीआई की विशेष अदालत में जमानती मुचलका भरने और लालू की रिहाई के आदेश लेने की कार्यवाही पूरी नहीं की जा सकी है और 3 मई तक इसकी संभावना भी नहीं दिख रही है।
राजद प्रमुख यादव के अधिवक्ता प्रभात कुमार ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री के लिए जमानत का मुचलका सीबीआई की विशेष अदालत में भरा जाना है, लेकिन स्टेट बार काउंसिल के निर्देश के कारण अधिवक्ता न्यायिक कार्य में शामिल नहीं हो रहे हैं, ऐसे में यादव का जमानती मुचलका नहीं भरा जा सका है। उन्होंने कहा कि जब तक बार काउंसिल की ओर से अदालती कार्यवाही में अधिवक्ताओं के शामिल होने पर लगी रोक हटाई नहीं जाएगी, तब तक यादव के न्यायिक हिरासत से बाहर आने की संभावना नहीं है।
काउंसिल ने 18 अप्रैल को बैठक कर कोरोना संक्रमण में बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं एवं न्यायिक कार्यों में लगे अन्य कर्मचारियों के संक्रमित होने और उनकी मौत पर गहरी चिंता जताई थी और उनके इलाज के लिए राज्य में सुविधाओं की कमी का उल्लेख करते हुए एवं कोविड-19 की संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के उद्देश्य से एक सप्ताह के लिए सभी प्रकार के न्यायिक कार्य से दूर रहने का फैसला किया था।
बार काउंसिल के सचिव राजेश पांडेय ने बताया कि बाद में 25 अप्रैल की बैठक में एक बार फिर बार काउंसिल ने राज्य के सभी अधिवक्ताओं एवं उनके मातहत कार्य करने वाले कर्मचारियों को दो मई तक अपने न्यायिक कार्य से दूर रहने का निर्देश दिया। पांडेय ने बताया कि अब बार काउंसिल दो मई की अपनी बैठक में 3 मई से न्यायिक कार्य शुरू करने अथवा उससे दूर रहने के बारे में कोई फैसला लेगा।
देवघर कोषागार से लगभग 89 लाख रुपए की राशि के गबन के मामले में यहां सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद से यादव 23 दिसंबर 2017 से जेल में हैं। उन्हें चारा घोटाले से संबंधित अन्य 3 मामलों में पहले ही जमानत मिल चुकी है। 73 वर्षीय यादव न्यायिक हिरासत में दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में अपना इलाज करा रहे हैं। (भाषा)