नागपुर। देश में इस समय जेएनयू में राष्ट्रदोह नारों और अन्य मामलों को लेकर घमासान मचा हुआ है। मंत्री, नेता इस मामले पर बयानबाजी कर मीडिया में अपनी सूरत दिखाने के लिए बेताब हैं। जेएनयू और जाट आंदोलन जैसी खबरों के बीच उस हिमवीर हनुमनथप्पा की पत्नी की वह खबर कहीं दब सी गई है, जिसने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
सियाचिन में जान गंवाने वाले बहादुर शहीद लांस नायक हनुमनथप्पा कोप्पाड की पत्नी महादेवी अशोक बिलेबल में अपने पति को खोने के बाद देश रक्षा का जज्बा कम नहीं हुआ है। उनकी इच्छा है कि जब उसकी एकमात्र बेटी बड़ी हो जाए तो वह भारतीय सेना में शामिल हो। सियाचिन ग्लैशियर पर छ: दिनों तक 30 फुट बर्फ के नीचे दबे रहने के बाद 33 वर्षीय लांस नायक हनुमंथप्पा को जीवित निकाला गया था। हालांकि उनका 11 फरवरी को निधन हो गया।
शहीद की मां बसम्मा को सम्मानित किए जाने के मौके पर उनके साथ मौजूद रही हनुमनथप्पा की विधवा पत्नी ने कहा कि ‘मेरा बेटा नहीं है लेकिन मुझे कोई पछतावा नहीं है, क्योंकि मेरी एक प्यारी बेटी है। मेरी एक इच्छा है कि उसका एक मजबूत भारतीय के रूप में पालन-पोषण करूं जो बड़ी होने पर भारतीय सेना में शामिल हो। यह उसके बहादुर पिता को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।