सूत्रों के अनुसार, उपराज्यपाल ने आबकारी नीति के कार्यान्वयन में संबंधित अधिकारियों की ओर से की गई कथित गंभीर चूक को देखते हुए यह निर्णय लिया है, जिसमें निविदा को अंतिम रूप देने में अनियमितताएं और चुनिंदा विक्रेताओं को पोस्ट-टेंडर लाभ प्रदान करना शामिल है।