'आपातकाल' टिप्पणी पर क्या बोली कांग्रेस

गुरुवार, 18 जून 2015 (15:21 IST)
नई दिल्ली। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के आपातकाल के बारे में दिए गए उस बयान से राजनीतिक हलकों में अटकलों का दौर शुरू हो गया है जिसमें उन्होंने कहा है कि जो ताकतें लोकतंत्र को कुचल सकती हैं, वे मजबूत हुई हैं।
आडवाणी के इस बयान पर ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर केंद्रित है, हालांकि आरएसएस ने ऐसी किसी बात को खारिज किया है जबकि कांग्रेस तथा भाजपा के अन्य प्रतिद्वंद्वी दलों ने आडवाणी की इस चिंता को साझा किया है।
 
आडवाणी ने 'इंडियन एक्सप्रेस' को दिए साक्षात्कार में कहा कि संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा होने के बावजूद अभी के समय में जो ताकतें लोकतंत्र को कुचल सकती हैं, वे मजबूत हुई हैं। उन्होंने कहा कि 1975-77 में आपातकाल के समय के बाद से मैं नहीं समझता कि ऐसा कुछ किया गया, जो आश्वस्त करता हो कि नागरिक स्वतंत्रता फिर से निलंबित या ध्वस्त नहीं की जाएंगी। ऐसा बिलकुल नहीं हुआ। 
 
पूर्व उपप्रधानमंत्री और अभी भाजपा के मागदर्शक मंडल के सदस्य आडवाणी ने कहा कि वास्तव में कोई आसानी से ऐसा नहीं कर सकता है, लेकिन ऐसा दोबारा नहीं होगा, मैं ऐसा नहीं कहूंगा। ऐसा हो सकता है कि मौलिक स्वतंत्रता में फिर कटौती हो। आपातकाल के दौरान आडवाणी सहित विपक्ष के कई दिग्गज नेताओं को जेल में कैद करके रखा गया था।
 
आडवाणी ने कहा कि उन्हें राजनीति में ऐसा कोई संकेत नहीं मिलता है, जो उन्हें नेतृत्व के उन विशिष्ट लक्षणों के बारे में आश्वस्त करता हो जिसकी लोकतंत्र के बारे में प्रतिबद्धता हो और लोकतंत्र से जुड़े अन्य सभी पहलुओं का अभाव है।
 
उन्होंने कहा कि आज मैं यह नहीं कहता कि राजनीतिक नेतृत्व परिपक्व नहीं है। मुझे इसकी कमजोरियों के कारण इसमें विश्वास नहीं है। मुझे यह विश्वास नहीं है कि ऐसा (आपातकाल) फिर नहीं हो सकता है।
 आडवाणी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आरएसएस विचारक एमजी वैद्य ने कहा कि आडवाणी भाजपा के मार्गदर्शक मंडल के एक सदस्य हैं और उन्हें ऐसा नहीं लगता है कि वे मोदी को कोई संदेश दे रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि मैं ऐसा कुछ महसूस नहीं करता हूं। वे (आडवाणी) उम्र में काफी बड़े हैं और अनुभवी हैं इसलिए वे मोदी से बात कर सकते हैं। वे भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में हैं। मैं नहीं समझता कि उनका मोदी को इस साक्षात्कार के जरिए कोई संदेश पहुंचाने का इरादा होगा। भाजपा प्रवक्ता एमजे अकबर का भी मानना है कि यह किसी व्यक्ति पर केंद्रित नहीं है, बल्कि संस्थाओं पर है।
 
अकबर ने कहा कि मैं समझता हूं कि आडवाणीजी व्यक्तियों की बजाए संस्थाओं का उल्लेख कर रहे थे। मैं उनके विचारों का सम्मान करता हूं लेकिन व्यक्तिगत रूप से मैं आपातकाल, देश में आपातकाल फिर से लगाए जाने की कोई संभावना नहीं देखता हूं। मैं समझता हूं कि वह युग बीत गया, भारतीय लोकतंत्र काफी मजबूत है, अब काफी मजबूत हो गया है।
 
बहरहाल, कांग्रेस प्रवक्ता टॉम वड्डकन ने आडवाणी की टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा कि ‘जूरी’ सत्ताधारी पार्टी से ही निकली है और वे मोदी के शासन के दौरान आपातकाल जैसी स्थिति का संकेत दे रही है। उन्होंने कहा कि आज जूरी सामने आ गई है। आडवाणीजी मुखर हो गए हैं। उन्हें जो कहना था, उन्होंने कह दिया।
 
उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि वे किसके बारे में बात कर रहे हैं, यहां किसकी सरकार है, कौन प्रधानमंत्री है। वे इसे जानते हैं लेकिन वे भाजपा में राजनेता का दर्जा रखने वाले नेता हैं। वे प्रधानमंत्री का नाम नहीं लेना चाहते हैं। लेकिन जिसने भी साक्षात्कार को पढ़ा होगा, वह यह समझेगा कि आडवाणी, मोदी के बारे में बात कर रहे हैं।
 
आडवाणी की टिप्पणी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नेता जब यह कहते हैं कि देश की वर्तमान स्थिति आपातकाल की ओर बढ़ने का संकेत देती है, तब वे ‘सही’ हैं।
 
आपातकाल के दौरान आडवाणी के साथ जेल में कैद किए गए जद (यू) नेता केसी त्यागी ने कहा कि मैं आडवाणीजी से सहमत हूं कि आपातकाल जैसी परिस्थितियां और संदर्भ अभी भी बने हुए हैं और आपातकाल की ओर उन्मुख होने के कारण अभी समाप्त नहीं हुए हैं।
 
सपा नेता नरेश अग्रवाल ने कहा कि अगर आडवाणीजी चिंता व्यक्त करते हैं तब सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, क्योंकि उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता ने ऐसी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि देश में जो व्यवस्था अभी चल रही है, वह लोकतांत्रिक नहीं है और कहीं न कहीं इससे तानाशाही व्यवहार झलक रहा है। (भाषा)

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