राजनीतिक दलों में ‘वन मैन शो’ के ‍खिलाफ हैं आडवाणी

शनिवार, 20 जून 2015 (12:00 IST)
नई दिल्ली। भारत में दोबारा 'आपातकाल' लगने की आशंका संबंधी अपने बयानों को लेकर शुक्रवार को खबरों में रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि वह राजनीतिक दलों में ‘वन मैन शो’ के खिलाफ हैं और आज के नेता अटल बिहारी वाजपेयी जैसे विनम्र होने चाहिए।



'आज तक' के एक बयान के मुताबिक आडवाणी ने चैनल से कहा कि अहंकार तनाशाही को जन्म देता है। यह बहुत दुखद है। आज के नेताओं को वाजपेयी जैसा विनम्र होना चाहिए।

यह पूछे जाने जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि राजनीतिक नेतृत्व में तानाशाही की प्रवृत्ति उभरी है? आडवाणी ने कहा कि मैं राजनीतिक दलों में हमेशा ही 'वन मैन शो' के खिलाफ रहा हूं।

आपातकाल पर अपनी विवादास्पद टिप्पणी को स्पष्ट करते हुए आडवाणी ने कहा कि मैंने जब बयान दिया था, तब मेरा मतलब किसी व्यक्ति विशेष से नहीं था। मैं हर तरह की तानाशाही के खिलाफ हूं। उन्होंने कहा कि वाजपेयी सफल रिकॉर्ड के साथ एक कद्दावर नेता थे लेकिन उस वक्त किसी से नहीं सुना कि 'वाजपेयी इंडिया हैं और इंडिया वाजपेयी' हैं।

'इंडिया टुडे' को दिए एक अन्य साक्षात्कार में आडवाणी ने यह भी कहा कि जो कोई भी सत्ता में आता है, वह उसे खोना नहीं चाहता। और उन्होंने आगाह किया कि जो भी सत्ता का दुरुपयोग करेगा, उसे मतदाता सबक सिखाएंगे।

आडवाणी ने कहा कि गलत व्यवहार के खिलाफ सर्वश्रेष्ठ सुरक्षा मतदाता है। जब उनसे पूछा गया कि अगर कोई नेता सत्ता को लेकर भुलावे में रहता है या अपने अधिकारों का दुरुपयोग करने की इच्छा रखता है तो क्या भारतीय मतदाता ऐसे नेता को सबक सिखाएंगे? तो उनका जवाब था कि 'हां'।

भाजपा नेता ने कहा कि भारत में दूसरी बार आपातकाल आसानी से नहीं लगाया जा सकता लेकिन उन्होंने आगाह करते हुए यह भी कहा कि जिनके पास सत्ता है या जो सत्ता में आ सकते हैं, उनकी संवेदनशीलता हमेशा वृहत्तर होगी।

उन्होंने कहा कि जो भी सत्ता में आता है, वह उसे खोना नहीं चाहता। जिस तरह किसी को धन मिलता है तो वह उसे खोना नहीं चाहता।

उन्होंने 'इंडियन एक्सप्रेस' अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा था ‍कि फिलहाल लोकतंत्र को कुचल सकने वाली ताकतें अधिक मजबूत हैं।

इस बयान का जिक्र करते हुए जब पूछा गया कि क्या यह मौजूदा परिप्रेक्ष्य में की गई टिप्पणी थी? तो आडवाणी ने किसी भी तरह की अटकल को खारिज कर दिया।

आडवाणी ने कहा कि मुझे नहीं पता कि क्या मैंने ज्यादा मजबूत कहा था। मैंने केवल मजबूत कहा था। मुझे हैरानी इस बात की होती है या इस बात से कष्ट होता है कि जिन्होंने देश में इतना भयावह आपातकाल लगाया था, उन्हें इसके लिए कोई अपराधबोध नहीं है। मुझे इससे कष्ट होता है। (भाषा)

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